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बुंदेलखंड के किसानों के लिए लाभदायक सिद्ध हो सकता है लाल राजमा का उत्पादन

झांसी, 02 मार्च (हि.स.)। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय परिसर में संचालित कृषि विज्ञान संस्थान के करगुआंजी स्थित जैविक कृषि फॉर्म में कृषि परास्नातक के छात्र-छात्राओं द्वारा लाल राजमा की नई प्रजाति के उत्पादन का प्रयास किया जा रहा है। विश्वविद्यालय के जैविक कृषि प्रक्षेत्र के प्रभारी डा.सन्तोष पाण्डेय ने जानकारी देते हुए बताया कि कृषि विज्ञान संस्थान में अध्ययनरत सीड टैक्लाॅलाजी परास्नातक के छात्र रजत अवस्थी द्वारा लगाई गई राजमा की नई प्रजाति को बुन्देलखण्ड क्षेत्र में उगाकर किसानो की आर्थिक दशा में सुधार लाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि रजत अवस्थी द्वारा कानपुर के भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित आई.पी.आर. 98-5 के बीज का उपयोग किया है। यह प्रजाति 125 दिन में तथा कम पानी में भी प्रति हेक्टेयर 16 से 18 कुंटल का उत्पादन देती है। इसके अतिरिक्त आई.आई.पी.आर. के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित लाल राजमा की यह प्रजाति बहुत से रोगों के प्रति अवरोधी है तथा इसमें पोषक तत्वों की मात्रा अन्य प्रजातियों की अपेक्षा अधिक है। डा.पाण्डेय के अनुसार, राजमा की यह किस्म जैविक उर्वरकों के साथ ज्यादा उत्पादन देने में सक्षम है। डा.पाण्डेय ने कहा कि अभी राजमा की उक्त प्रजाति पर शोधकार्य चल रहा है। यदि लाल राजमा की उक्त प्रजाति की समस्त बुन्देलखण्ड में बोवाई की जाय तो यह किसानों के लिए काफी लाभदायक सिद्ध हो सकता है। हिन्दुस्थान समाचार/महेश

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