डा.प्रफुल्ल राय अन्याय और अत्याचार के खिलाफ लड़ी थी लड़ाई
डा.प्रफुल्ल राय अन्याय और अत्याचार के खिलाफ लड़ी थी लड़ाई

डा.प्रफुल्ल राय अन्याय और अत्याचार के खिलाफ लड़ी थी लड़ाई

-विज्ञान क्लब ने सामाजिक दूरी के बीच मनाया भारतीय वैज्ञानिक डा.राय का जन्मदिन हमीरपुर, 02 अगस्त (हि.स.)। हमीरपुर शहर में रविवार को यहां जिला विज्ञान क्लब के तत्वाधान में सामाजिक दूरी के बीच, भारतीय वैज्ञानिक डा.प्रफुल्ल चन्द्र राय का जन्मदिन मनाया गया। जिला विज्ञान क्लब के जिला समन्वयक डा.जीके द्विवेदी वैज्ञानिक डा.राय के चित्र पर माल्यार्पण करते हुये बताया कि 2 अगस्त 1861 को बंगाल के रुडौली गांव में इनका जन्म हुआ था। इनके पिता गांव के जमींदार थे। प्रारम्भिक शिक्षा कलकत्ता के हेयर स्कूल से ली। वह वैज्ञानिकों, महा पुरुषों, न्यूटन, गैलिलियों, बेजामिन फ्रेकलिन और लिंकन आदि के जीवन चरित्र से बहुत प्रभावित हुये थे। वैज्ञानिक प्रयोगों के तरफ इनका बचपन से ही लगाव था। उन्होंने बताया कि अक्टूबर 1882 में प्रफुल्ल ने एडिनवरा विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। एडिनवरा विश्वविद्यालय उन दिनों संसार भर के विश्वविद्यालयों में विज्ञान की पढ़ाई के लिये बहुत प्रसिद्ध था। उन दिनों विज्ञान सम्बन्धी अधिकांश पुस्तकें जर्मन भाषा मे थीं। प्रफुल्ल चन्द्र ने जर्मन भाषा का अध्ययन किया। इसके बाद बी.एस.सीं की परीक्षा पास की और वहीं से इन्होने पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। 1887 में वे एडिनवरा विश्वविद्यालय की रसायन सोसायटी के उपाध्यक्ष नियुक्त किये गये। उच्च शिक्षा ग्रहण करने के उपरान्त वे कलकत्ता वापस लौटे और नौकरी पाने के लिये प्रयत्न करने लगे। कुछ दिनों बाद प्रेसीडेन्सी कालेज कलकत्ता मे उन्हें सहायक प्राध्यापक की नौकरी मिली। डॉ. राय रसायन विज्ञान के ज्ञाता थे। वे जानते थे कि मनुष्य के जीवन के लिये रसायन विज्ञान कितना महत्वपूर्ण है। उन्होंने अनेक जीवनदायिनी दवाओं का आविष्कार भी किया। डॉ. राय केवल वैज्ञानिक ही नहीं थे, वरन महान देशभक्त भी थे। डॉ. द्विवेदी ने बताया कि डॉ. राय ने भारतीय रसायन विज्ञान की एक पुस्तक ‘हिन्दू रसायन विज्ञान का इतिहास’ नाम से अंग्रेजी में लिखी। उन्होंने ‘बंगाल केमिकल्स एण्ड फार्मास्युटिकल वर्क्स’ की भी स्थापना की। डॉ. राय ने भारतीय युवा-रसायन शास्त्रियों को अपनी प्रयोगशाला में कार्य करने के लिये प्रोत्साहित करते थे। और सदैव उन्हें आगे बढ़ने के लिये प्रेरित करते थे। डॉ. राय को प्रायः देश के विभिन्न भागों मे भाषणों तथा सभाओं की अध्यक्षता के लिये बुलाया जाता था। उनके भाषण बहुत ही ज्ञानवर्धक प्रभावशाली एवं उपयोगी होते थे। 14 जून 1944 को 83 वर्ष की आयु में महान वैज्ञानिक डॉ. प्रफुल्ल चन्द्र राय की मृत्यु हो गयी। डॉ. राय अपने जीवन में अन्याय, अत्याचार और अज्ञान के विरूद्ध लड़ते रहे और मानव समाज को पराधीनता और निर्धनता से मुक्ति दिलाने के लिये प्रयत्नशील रहे। इस अवसर पर राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस के अखिलेश शुक्ला, डिजिटल एवं तकनीकी ज्ञान केन्द्र के रमाकान्त, सियादीप प्रशिक्षण शिक्षा संस्थान के प्रबन्धक प्रमोद कुमार शुक्ल विज्ञान क्लब के कार्यकर्ता अर्पित त्रिपाठी उपस्थित रहे। हिन्दुस्थान समाचार/पंकज/राजेश-hindusthansamachar.in

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