होली पर कवि सम्मेलन में कवियों ने बिखेरे हास्य के रंग

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मेरठ, 30 मार्च (हि.स.)। रंगोंं के पावन पर्व होली पर संस्कार भारती ने हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया। इस दौरान कवियों ने अपनी रचनाओं से हास्य के रंग बिखेरे। संस्कार भारती ने मंगलवार को नागा बाबा ट्रस्ट सूरजकुण्ड में हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया। कार्यक्रम की शुरूआत मोहित जैन, राजगोपाल कात्यायन, अनिरूद्ध गोयल एवं डाॅ. सुदेश यादव दिव्य द्वारा की गई। कवि चैपट चतुर्वेदी ने ’फागुन में जो बिछडे हैं वो, सावन में मिलेंगे। भारत में न मिल पाये तो लंदन में मिलेंगे।’ सुनाकर श्रोताओं को खूब हंसाया। बिजनौर के कवि हुक्का बिजनौरी ने ’मिलावट के खेल में हम कुछ इस कदर आगे बढ़ गए, कीडे मारने की दवा में भी कीडे पड गए।’ से महफिल लूट ली। मुरादनगर के हास्य कवि प्रमोद लट्ठ ने ’म्हारी घरआडी, पहाड से भारी।’ से लोगों को गुदगुदाया। कवि सुदेश यादव दिव्य ने अपनी हास्य व्यंग्य की कविता सुनाकर खूब वाहवाही लूटी। उन्होंने ’मैं पांचवी शादी की खुशी में झूम रहा था, पत्नी के हाथों को चूम रहा था, तभी अचानक पुलिस आ गई। सुनाकर खूब तालियां बटोरी। कवि मंगल सिंह मंगल ने ’गजलों की बहरों पर जब गीत लिखूंगा मैं’ सुनाई। कार्यक्रम में सुधाकर आशावादी, रचना वानिया, माला सिंह, सुधा शर्मा ने भी कविता पाठ किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता चित्रा त्यागी ने की। इस मौके पर राकेश आचार्य, इन्द्रजीत कथूरिया, कंवलजीत सिंह कविल त्यागी, अजय वर्मा, आदर्श गोयल, श्यामसुन्दर, आदर्श गोयल आदि मौजूद थे। हिन्दुस्थान समाचार/कुलदीप

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