आने वाली कल की चुनौतियों का संज्ञान लेकर मुकाबला करने की बनायें योजना : आनंदीबेन
-चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विवि के 22वें दीक्षान्त समारोह को किया सम्बोधित -57 छात्र-छात्राओं प्रदान किए पदक, 643 विद्यार्थियों को मिली डिग्रियां लखनऊ, 22 मार्च (हि.स.)। राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने कहा कि आवश्यकतायें एवं परिस्थितियां सदैव बदलती रहती हैं और नवीन चुनौतियां सामने आती रहती हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि हम आने वाली कल की चुनौतियों का संज्ञान लें, विश्लेषण करें और उनका मुकाबला करने की योजना बनायें और क्षेत्र व परिस्थिति की आवश्यकता के अनुरूप कार्य करना प्रारम्भ करें। राज्यपाल सोमवार को चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कानपुर के 22वें दीक्षान्त समारोह को सम्बोधित कर रही थीं। इस अवसर पर उन्होंने 57 छात्र-छात्राओं पदक दिये, जिसमें 26 पदक छात्रों एवं 31 पदक छात्राओं ने प्राप्त किया जबकि कुल 643 विद्यार्थियों को डिग्रियां दी गयी। शिक्षा और विज्ञान से ही देश हो सकता है समृद्ध राज्यपाल ने कहा कि दीक्षान्त समारोह पिछली उपलब्धियों पर गर्व करने के साथ-साथ भविष्य के लिए योजनाओं पर विचार करने का अवसर भी होता है। शिक्षा और विज्ञान से ही देश समृद्ध हो सकता है। हर विद्यार्थी में प्रतिभा छुपी होती है। उसको पहचानने का कार्य शिक्षक करते हैं। अतः शिक्षक विद्यार्थी में छुपी हुई प्रतिभा को पहचानने और विकसित करने का कार्य करें, जिससे विद्यार्थी स्वयं अपने तथा देश एवं समाज के विकास के लिये औपचारिक शिक्षा और प्रतिभा का उपयोग कर सकें। तकनीक से किसानों की समस्याओं का कौशलपूर्ण समाधान करें उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय समस्याओं के अनुरूप तकनीक के उपयोग के माध्यम से किसानों की समस्याओं का कौशलपूर्ण समाधान किया जाए, जिससे कृषि उत्पादन वृद्धि में निरन्तरता तथा टिकाऊपन सम्भव हो सके। उन्होंने कहा कि कृषि छात्र-छात्रायें यहां प्राप्त ज्ञान-विज्ञान के माध्यम से किसानों के विकास में नये-नये नवाचार के माध्यम से महती भूमिका निभायें। कृषि शिक्षा प्रणाली में निरन्तर बदलाव की दरकार श्रीमती पटेल ने कहा कि विश्व स्तर पर तेजी से बदल रही तकनीकी, व्यवसायिक और सामाजिक परिदृश्य के साथ तालमेल रखने के परिपेक्ष्य में कृषि शिक्षा प्रणाली में निरन्तर बदलाव की आवश्यकता है। गिरती उत्पादकता, प्राकृतिक संसाधनों में गिरावट, बढ़ती बेरोजगारी तथा तेजी से बदलती विश्व-अर्थव्यवस्था के चलते यह आवश्यक हो गया है कि छात्र मात्र डिग्री धारक नहीं वरन् व्यवसायिक कृषि विषेशज्ञ की तरह तैयार किये जायें, जिससे कि विद्यार्थी वर्तमान एवं भविष्य में आने वाली विषम परिस्थितियों का मुकाबला करने में अपने को सक्षम सिद्ध कर सकें। पर्यावरण को संरक्षित, संवर्धित एवं समर्पित करने पर जोर उन्होंने कहा कि आज हमें पर्यावरण को संरक्षित, संवर्धित एवं समर्पित करना ही होगा। हमें जैविक खेती, प्राकृतिक खेती तथा गो आधारित खेती को बढ़ावा देना होगा। राज्यपाल ने बताया कि इस वर्ष विश्व खाद्य संगठन की 75वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री ने देश की विभिन्न आठ फसलों को 17 जैव संवर्धित प्रजातियों को समर्पित किया है। इनके उपभोग से देश में व्याप्त कुपोषण को सतत, सरल एवं स्थायी रूप से दूर किया जा सकता है। उन्होंने छात्र-छात्राओं, युवाओं, वैज्ञानिकों से अपील है की कि वे अधिक से अधिक जैव संवर्धित प्रजातियों एवं तकनीकी विकास में अपना योगदान दें जिससे हम समर्थ भारत, आत्मनिर्भर भारत बना सकें। जल संरक्षण को लेकर जागरूकता पर दिया जोर श्रीमती पटेल ने विश्व जल दिवस पर चर्चा करते हुये कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा हर एक को स्वच्छ पेयजल मुहैया कराने और हर खेत तक सिंचाई का पानी पहुंचाने के साथ ‘पर ड्राॅप मोर क्राॅप’ जैसे अभियान शुरू किए गए हैं। उन्होंने कहा कि आज ‘गांव का पानी गांव में’ जैसे नारे जल संरक्षण में लगे लोगों की जुबान पर चढ़ गए हैं। बरसात के पानी के संरक्षण से ही हम भूजल के स्तर को ऊपर ला सकते हैं। इसके लिए हमें ‘कैच द रेन’ अभियान चलाना होगा। हमें ऐसी प्रजातियां विकसित करनी होंगी जो कम जल खपत मे अधिक उत्पादन दे सकें। उन्होंने कहा कि भूजल की गुणवत्ता को भी बनाए रखना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। दीक्षांत समारोह थीम 'नारी सशक्तीकरण एवं आत्मनिर्भर भारत' अभियान पर समर्पित श्रीमती पटेल ने कहा कि महिलाएं प्रत्येक क्षेत्र में आगे आ रही हैं। इससे महिला सशक्तीकरण को बल मिल रहा है। आज का दीक्षांत समारोह थीम ‘नारी सशक्तीकरण एवं आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के लिये समर्पित है। आज लड़कियां भी लड़कों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही है और अभिभावक भी उनका साथ दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी महिला तब तक समाज के विकास में पूर्ण योगदान नहीं दे सकती जब तक वह स्वयं शारीरिक तथा मानसिक रूप से स्वस्थ्य नहीं होंगी। अतः महिलाओं में कुपोषण, एनीमिया, स्वास्थ्य शिशु जन्म दर पर भी ध्यान देना चाहिए। डाॅ. राजीव डाॅक्टर ऑफ फिलासफी की मानद् उपाधि से अलंकृत कार्यक्रम में राज्यपाल ने मुख्य अतिथि एवं नीति आयोग, नई दिल्ली के उपाध्यक्ष डाॅ. राजीव कुमार डाॅक्टर ऑफ फिलासफी की मानद् उपाधि से अलंकृत किया। इस अवसर पर कुलपति डॉ. डीआर सिंह ने विश्वविद्यालय की रिपोर्ट प्रस्तुत की। हिन्दुस्थान समाचार/संजय /दीपक