pir-ratan-nath-yogi39s-shobha-yatra-reaches-devipatan-from-nepal-amidst-tight-security
pir-ratan-nath-yogi39s-shobha-yatra-reaches-devipatan-from-nepal-amidst-tight-security

कड़ी सुरक्षा के बीच पीर रतन नाथ योगी की शोभा यात्रा नेपाल से पहुंची देवीपाटन

बलरामपुर,17 अप्रैल (हि.स.)। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच परंपरागत ढंग से रतन नाथ योगी की शोभायात्रा नवरात्रि की पंचमी को शक्तिपीठ मंदिर देवीपाटन पहुंची है। शोभा यात्रा का शक्तिपीठ पर पीठाधीश्वर मिथिलेश नाथ योगी ने स्वागत किया।इस दौरान भारी संख्या में सुरक्षा कर्मी मौजूद रहे। चैत्र नवरात्रि की पंचमी को परंपरागत ढंग से नेपाल से आयी पीर रतन नाथ योगी (पात्र देवता) के शोभा यात्रा नगर जनकपुर से तुलसीपुर में पहुंचते ही श्रद्धालुओं के जय-जयकार से क्षेत्र गुंजायमान हो उठा। शोभा यात्रा का शक्तिपीठ पहुंचने पर पीठाधीश्वर ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच स्वागत किया। इसके उपरांत पात्र देवता के मुख्य पुजारियों द्वारा मां पाटेश्वरी का पूजन शुरू किया गया। जनकपुर से शक्तिपीठ तकरीबन 18 किमी के इस पैदल शोभायात्रा के निर्धारित मार्ग के दोनों पटरियों पर स्थानीय लोग रतन नाथ योगी (पात्र देवता) की एक झलक पाने के लिए भोर चार बजे से ही जुटे रहे। शोभा यात्रा आगमन को देखते हुए स्थानीय वह मंदिर प्रशासन के द्वारा कोविड-19 को लेकर विशेष सतर्कता बरती गई। शोभा यात्रा नवरात्रि के दूसरे दिन बुधवार को नेपाल से भारतीय सीमा में प्रवेश हुआ था तभी से भारतीय सीमा के जनकपुर ग्राम में परम्परानुसार विश्राम के लिये रुका था। आज पंचमी की भोर जनकपुर से पैदल यात्रा देवीपाटन पहुंची। उल्लेखनीय है कि, चैत्र नवरात्रि की पंचमी को प्रत्येक वर्ष नेपाल देश के दांग चौखड़ा जनपद से पीर रतन नाथ योगी की शोभायात्रा शक्तिपीठ देवीपाटन पहुंचती है। इस यात्रा का धार्मिक व ऐतिहासिक महत्त्व है। क्या है महत्व शक्तिपीठ देवीपाटन में हजारों वर्षों से चैत्र नवरात्रि के पंचमी के दिन नेपाल के दांग चौखड़ा से पीर रतन नाथ की शोभा यात्रा आती रही है। माना जाता है कि हजारों वर्ष पूर्व दांग चौखड़ा के राजा रतन सेन महायोगी गुरु गोरक्षनाथ से दीक्षा लेकर उनके आदेश पर शक्तिपीठ देवीपाटन में तपस्यारत थे, उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उन्हें दर्शन देकर वरदान मांगने को कहा। वरदान में राजा ने नवरात्रि में उनके द्वारा ही पूजन करने का वरदान मांगा, जिस पर उन्हें माता ने वरदान दिया कि पंचमी से नवमी तक उनके द्वारा पूजा की जाएगी। तभी से (राजा जिन्हे गोरक्षनाथ जी से दीक्षा के उपरांत रतन नाथ योगी कहा जाता है), प्रत्येक चैत्र नवरात्रि की पंचमी को रतन नाथ की यात्रा आ रही है। नेपाल दांग चौखड़ा मंदिर से वहां के पुजारियों द्वारा परम्परा का निर्वहन करते हुए पात्र देवता रतन नाथ जी की यात्रा पैदल देवीपाटन लायी जाती है। यात्रा मार्ग से जुड़े गावों के ग्रामीणों को इस यात्रा का पूरे वर्ष इंतजार रहता है। नेपाल -भारत सीमा क्षेत्र के रह रहे लोगों में रतन नाथ के प्रति गहरी आस्था है। रतन नाथ योगी को यहां के हिंदूओं के साथ ही साथ मुस्लिम धर्म के लोगों की भी गहरी आस्था है। मुस्लिम इन्हें पीर बाबा भी कहते हैं। इसलिए इन्हें पीर रतन नाथ योगी के नाम से जाना जाता है। यह यात्रा नेपाल भारत के मैत्रीय संबंधों को प्रगाढ़ तो बनाते हुए दोनों देशों के धार्मिक सांस्कृतिक को दर्शाता है। हिन्दुस्थान समाचार/प्रभाकर

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in