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नेपाल से जनकपुर पहुंची पीर रतन नाथ यात्रा, पंचमी को पहुंचेगी देवीपाटन

बलरामपुर,15 अप्रैल(हि.स.)। नेपाल के दांग चौखड़ा से रतन नाथ योगी की शोभायात्रा नवरात्रि के तीसरे दिन भारतीय सीमा क्षेत्र के ग्राम जनकपुर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच पहुंची है। यहां दो दिन विश्राम के उपरांत पंचमी के दिन शनिवार को शोभा यात्रा शक्तिपीठ देवीपाटन पहुंचेगी। विश्राम के दौरान नेपाल से आए सभी संतों,श्रद्धालुओं का कोविड टेस्ट स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया जाएगा। गुरुवार की भोर तकरीबन 4:00 बजे पात्र देवता रतन नाथ योगी की शोभा यात्रा नेपाल से कोयलाबास होते हुए भारतीय सीमा में प्रवेश किया। यात्रा भारतीय सीमा क्षेत्र के जनकपुर में रुकी। यहां से पंचमी की भोर जत्था पैदल शक्ति पीठ देवीपाटन के लिए प्रस्थान करेगी। यात्रा विश्राम के दौरान दो दिनों तक यहां मेले सी स्थिति रहेगी। सीमा क्षेत्र के ग्रामीण, वनवासी, यहां पात्र देवता का पूजन करेंगे। यही पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा नेपाल से जत्थे में आये सभी संतो का कोविड जांच किया जायेगा। क्या है मान्यता शक्तिपीठ देवीपाटन में हजारों वर्षों से चैत्र नवरात्रि के पंचमी के दिन नेपाल के दांग चौखड़ा से पीर रतन नाथ की शोभा यात्रा आती रही है। माना जाता है कि हजारों वर्ष पूर्व दांग चौखड़ा के राजा रतन सेन महायोगी गुरु गोरक्षनाथ से दीक्षा लेकर उनके आदेश पर शक्तिपीठ देवीपाटन में तपस्यारत थे, उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उन्हें दर्शन देकर वरदान मांगने को कहा। वरदान में राजा ने नवरात्रि में उनके द्वारा ही पूजन करने का वरदान मांगा, जिस पर उन्हें माता ने वरदान दिया कि पंचमी से नवमी तक उनके द्वारा पूजा की जाएगी। तभी से (राजा जिन्हें गोरक्षनाथ जी से दीक्षा के उपरांत रतन नाथ योगी कहा जाता है) प्रत्येक चैत्र नवरात्रि की पंचमी को रतन नाथ की यात्रा यहां पहुंचती है। नेपाल दांग चौखड़ा मंदिर से वहां के पुजारियों द्वारा परम्परा का निर्वहन करते हुए पात्र देवता रतन नाथ जी की यात्रा पैदल देवीपाटन लायी जाती है। यात्रा मार्ग से जुड़े गावों के ग्रामीणों को इस यात्रा का पूरे वर्ष इंतजार रहता है। नेपाल-भारत सीमा क्षेत्र के रह रहे लोगों में रतन नाथ के प्रति गहरी आस्था है। रतन नाथ योगी को यहां के हिंदूओं के साथ मुस्लिम धर्म के लोगों की भी गहरी आस्था है। मुस्लिम इन्हें पीर बाबा भी कहते हैं। इसलिए इन्हें पीर रतन नाथ योगी के नाम से जाना जाता है। यह यात्रा नेपाल भारत के मैत्रीय संबंधों को प्रगाढ़ तो बनाते हुए दोनों देशों के धार्मिक सांस्कृतिक को दर्शाता है। हिन्दुस्थान समाचार/प्रभाकर

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