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प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन से व्यक्तिगत हलफनामा तलब

प्रयागराज, 10 फरवरी (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गंगा प्रदूषण मामले में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है। और जानना चाहा है कि क्या दिन डूबने व निकलने के पहले का जल का सैम्पल लिया जाता है। यदि ऐसा है तो तीन माह का रिकार्ड पेश करे। कोर्ट ने कहा कि बताये कि एसटीपी व नाले के शोधन की निगरानी कैसे करते है। नाले की बायो रेमेडियल व एसटीपी उत्सर्जन की तीन माह की रिपोर्ट दाखिल करे। कोर्ट ने केन्द्र सरकार से पूछा है कि तैयार एसटीपी क्यों चालू नहीं हो पा रहा है। यह आदेश न्यायमूर्ति एम.के गुप्ता, न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा तथा न्यायमूर्ति अजित कुमार की पूर्णपीठ ने गंगा प्रदूषण मामले की सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट को मेला प्रभारी ने बताया कि नरोरा बांध से 4 हजार क्यूसेक पानी गंगा मे छोड़ा जा रहा है। कोर्ट ने इसे मेले के दौरान अनवरत छोड़ने का निर्देश दिया है और मेले में 50 माइक्रोन से कम की पालीथीन की बिक्री व प्रयोग पर रोक लगाने का निर्देश दिया है और एसएसपी को इस कार्य मे सहयोग करने को कहा है। न्यायमित्र अरूण कुमार गुप्ता, डॉ. एच.एन त्रिपाठी, राजेश त्रिपाठी व मनू घिल्डियाल की कमेटी ने एसटीपी व गंगा घाटों का निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट पेश की। जिसमें कहा गया है कि एसटीपी में क्षमता से अधिक गंदा पानी आ रहा है। जिससे गैर शोधित गंदा पानी नदी में जा रहा है। यह स्थिति तब है जब अधिकांश घरों को सीवर से नहीं जोड़ा जा सका है। अधिवक्ता सुनीता शर्मा ने गंगा में गिर रहे नालों के फोटोग्राफ दाखिल कर रिपोर्ट का समर्थन किया। अधिवक्ता वीसी श्रीवास्तव ने कहा आदेश का ठीक से पालन नहीं हो रहा। स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्मचारी ने भी हलफनामा दाखिल कर बताया कि गंगा किनारे मेले में कूड़ा डम्प किया जा रहा है। याचिका की अगली सुनवाई 22 फरवरी को होगी। हिन्दुस्थान समाचार/आर.एन/विद्या कान्त-hindusthansamachar.in

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