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ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन पशुधन के साथ मनुष्यों पर डालता है दुष्प्रभाव : डा. पीके उपाध्याय

— पशुधन और महिलाओं में होता है बांझपन, समय से पहले वयस्क हो जाती हैं लड़कियां कानपुर, 13 जून (हि.स.)। दूध मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है, क्योंकि इसमें लगभग वह सभी तत्व पाया जाता है जिसकी मनुष्य को जरुरत होती है। इन सबके बावजूद दूध में ही सबसे अधिक मिलावटी होता है। यही नहीं पशुपालक गलत धारणा से कि दुधारु पशुओं को आक्सीटोसिन इंजेक्सन लगाने से दूध अधिक हो जाता है, बहुतायत मात्रा में दुधारु पशु को आक्सीटोसिन इंजेक्सन लगाते हैं। यह इंजेक्शन पशुधन के साथ दूध का उपभोग करने वाले मनुष्य पर बहुत अधिक दुष्प्रभाव डालता है। यह बातें रविवार को सीएसए के पशुपालन एवं दुग्ध विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डा. पीके उपाध्याय ने कही। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के पशुपालन एवं दुग्ध विज्ञान विभाग के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष डॉ पीके उपाध्याय ने बताया कि ऑक्सीटोसिन हार्मोन मस्तिष्क में स्थित पिट्यूटरी ग्रंथि से स्रावित होता है। ऑक्सीटोसिन हार्मोन का प्रभाव शरीर में पांच से सात मिनट तक रहता है। इंजेक्शन द्वारा अलग से शरीर में ऑक्सीटोसिन देने से शरीर में हार्मोन अतिरिक्त मात्रा में हो जाता है। जिससे दुधारु पशुओं में दुष्प्रभाव पड़ता है जैसे पशु धीरे-धीरे बांझ हो जाता है एवं गर्भित पशु में भ्रूण गिरना, पशु का बार—बार गर्मी में आना लेकिन गर्भधारण न करना, प्रजनन अंगों में दुष्प्रभाव पड़ना, बच्चेदानी का बाहर निकल आना आदि समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। डॉ उपाध्याय ने बताया कि पशुपालकों की लापरवाही के कारण पशु अनुपयोगी हो जाते हैं। जिससे उनके बेशकीमती पशु कौड़ियों के भाव में बिकते हैं और उन्हें आर्थिक हानि उठानी पड़ती है। प्रतिबंधित है आक्सीटोसिन इंजेक्शन उन्होंने बताया कि इंजेक्शन द्वारा लगातार दूध निकालते रहने से दूध में ऑक्सीटोसिन हार्मोन की सूक्ष्म मात्रा दूध में आ जाती है जिससे मानव स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ता है। जैसे पुरुषों एवं महिलाओं में बांझपन की समस्या, लड़कियों का उम्र से पहले वयस्क होना, महिलाओं में गर्भपात का खतरा, बच्चों में दृष्टि दोष की संभावना बढ़ जाती है। डॉ उपाध्याय ने बताया कि हमारे देश में ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन पूर्ण रुप से प्रतिबंधित किया जा चुका है। कानूनी तौर पर इसका प्रयोग दंडनीय अपराध है जो कि पशु क्रूरता रोकथाम अधिनियम के अंतर्गत आता है। डॉ उपाध्याय ने पशुपालकों को सलाह दी है कि दुधारु पशुओं से स्वत: दूध उतारने के लिए पशुओं को संतुलित एवं स्वादिष्ट आहार खिलाए, प्रसन्न चित्त प्यार दुलार एवं भयमुक्त वातावरण में रखकर ऑक्सीटोसिन से मुक्त दूध प्राप्त करें। जिससे दूध उपभोग करने वाले व्यक्तियों को स्वस्थ एवं जानलेवा बीमारियों से सुरक्षित रख सकते हैं और पशुधन का भी स्वास्थ्य सही रहेगा। हिन्दुस्थान समाचार/अजय

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