केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय द्वारा झांसी और ललितपुर के गावों में एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण सम्पन्न

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झांसी, 25 मार्च (हि.स.)। रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति के निर्देशन और निदेशक, प्रसार तथा शिक्षा के मार्गदर्शन में विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा 25 मार्च को झॅासी तथा ललितपुर के छह गांवों में खरीफ फसलों की उन्नत खेती, बागवानी, सब्जी उत्पादन, सरकार की योजनाएं आदि विषयों पर किसानों को प्रशिक्षण दिया गया। झांसी जिले के ग्राम परवई में डा. अमित तोमर, ग्राम राजगढ़ में डा. आशुतोष श्रीवास्तव, ग्राम लकारा में प्रभात तिवारी, ललितपुर जिले के ग्राम विरधा मे डा. प्रियंका शर्मा, ग्राम बजरंगगढ़ में डा. श्रवण कुमार शुक्ला और ग्राम रमपुरा में डा. अर्जुन लाल ओझा ने अपने-अपने वैज्ञानिकों के टीमों के साथ एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। जिसमें ग्राम के किसानों को मक्का तथा बागवानी की खेती करने के नये नये तरीकों से अवगत कराया गया। इस विशेष अभियान में कुल 24 वैज्ञानिकों ने भाग लेकर कृषकों को जागरूक किया। बुंदेलखण्ड की परिस्थतियों में खरीफ में उड़द, मूंगफली, मूंग, तिल, मक्का, ज्वार, बाजरा जैसी कम पानी की फसलों को लगाने की सलाह दी गई। बीजों की व्यवस्था समय से करने को कहा गया। खरीफ की सब्जियों की खेती में कम रसायनों के प्रयोग की सलाह दी गई। खाली पड़े क्षेत्रों में बागवानी करने को कहा गया, जिसमें शुरूआत के तीन-चार वर्ष अतःवर्ती फसलों को लगाकर अधिक आय प्राप्त की जा सकती है। मिट्टी की उर्वरता बनाये रखने के लिये खेतों में हरी खाद, देशी खाद और जैविक खादों का यथासंभव उपयोग करना चाहिये। पौधों के अवशेष न जलाकर भूमि में वापस कर देना चाहिये। सिंचाई के आधुनिक प्रयोगों से कम पानी देकर जल बचाव करना चाहिये। नहरी क्षेत्रों में जहां धान की खेती करते हैं वहां गाना न करके सीधी बुवाई से एरोविक धान बोना चाहिये इससे पानी की काफी बचत होगी। मिट्टी की जांच कराकर स्वास्थय कार्ड बनवाकर उसके अनुसार उर्वरकों का प्रयोग करना चहिये। किसानों को सरकार की योजनाओं का लाभ उठाने के लिये समय से आनलाइन आवेदन दे देना चाहिये। हिन्दुस्थान समाचार/महेश

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