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एसपी की पांचवीं बरसी पर पत्नी अर्चना ने बयां किया दर्द, सरकार से शहादत स्थल की जिम्मेदारी मांगी

मथुरा, 02 जून (हि.स.)। पांच वर्ष पूर्व जवाहर बाग से अताताईयों को कब्जा हटाने के दौरान शहादत देने वाले पुलिस अधीक्षक नगर मुकुल द्विवेदी की पुण्य तिथि पर बुधवार को उनकी धर्मपत्नी श्रीमती अर्चना द्विवेदी ने रूंधे गले से प्रदेश सरकार से प्रश्न किया है कि आखिरकार आज तक स्मारक और उनकी प्रतिमा क्यों स्थापित नहीं हो पाई है। उन्होंने योगी सरकार से जवाहरबाग में स्व. मुकुल द्विवेदी के शहादत स्थल के रखरखाव की जिम्मेदारी दिए जाने की मांग की है, ताकि उसे शहीद स्मारक के रूप में विकसित किया जा सके। बुधवार को शहीद एसपी सिटी स्व. मुकुल द्विवेदी की पत्नी अर्चना द्विवेदी अपने भाई विनोद कुमार पांडेय और जीजाजी सतीश कुमार पांडेय के साथ जवाहरबाग पहुंचीं। उन्होंने सबसे पहले शहीद मुकुल द्विवेदी नवग्रह वाटिका पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए और उसके बाद शहीद एसओ संतोष यादव नवग्रह वाटिका पर भी पुष्प चढ़ाए। इसके बाद अर्चना द्विवेदी जवाहरबाग के पीछे मुकुल द्विवेदी के शहादत स्थल पर जाकर श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि सीबीआई जांच में कुछ नहीं हो रहा है। यहां पर नामकरण और स्मारक बनाने का आश्वासन था, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। ऊर्जामंत्री श्रीकांत शर्मा से कई बार बात हुई, लेकिन कुछ नहीं हुआ। पिछली साल भी मैं आने वाली थी, लेकिन कोरोना के कारण नहीं आ पायी। अगर सरकार कुछ नहीं कर पा रही है तो जहां शहादत हुई, उस हिस्से को मुझे दे दिया जाए। वहां हमारा परिवार शहीद स्मारक स्थल विकसित करेगा और उसका खर्च भी परिवार ही वहन करेगा। शहीद की पत्नी ने जनप्रतिनिधियों पर भी तंज कसते हुए कहा कि जो बातें सरकार में आने से पहले कर रहे थे, उसे सरकार में आने के बाद तो पूरा किया जाए। उन्होंने कहा कि जो सीबीआई जांच साढ़े चार साल से ऐसे ही पड़ी है, उसे गति दी जाए। बाद में अर्चना द्विवेदी ने अपनी मांगों के संबंध में जिलाधिकारी नवनीत सिंह चहल और एसएसपी डा. गौरव ग्रोवर को मांग पत्र भी दिया। जवाहर बाग के एक हिस्से में बनी शहीद मुकुल द्विवेदी नवग्रह वाटिका पर ब्रज प्रदेश क्लब के अध्यक्ष कमलकांत उपमन्यु और उनकी पत्नी सरकारी वकील अलका उपमन्यु ने भी छवि चित्र पर पुष्प अर्पित किये। क्या था जवाहरबाग कांड रामवृक्ष यादव के नेतृत्व में सशस्त्र अतिक्रमणकारियों के एक दल ने जवाहरबाग की भूमि पर 2014 से कब्जा किया हुआ था। मूलरूप से गाजीपुर निवासी रामवृक्ष यादव मय निजी प्रशासन, राजस्व व सेना के साथ यहां से अपनी समानान्तर सरकार चला रहा था। हाईकोर्ट ने जवाहर बाग को खाली कराने का आदेश दिया तब उस आदेश का अनुपालन कराने के लिए स्थानीय प्रशासन ने ऑपरेशन जवाहर बाग शुरू किया। इस बीच कब्जाधारियों और पुलिस की मुठभेड़ में दो पुलिस अधिकारी एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एसओ फरह संतोष यादव शहीद हो गए। जवाबी कार्यवाही में 27 लोगों की मौत हो गई। इस मामले की सीबीआई जांच अभी भी चल रही है। पांच साल बाद भी शहीद पुलिस अफसरों को नहीं मिल सका न्याय, न सम्मान पांच साल गुजरने के बाद भी हाल वही पुराना ही है। जान की बाजी लगाकर उपद्रवियों को भगाने वालों को न्याय और सम्मान न मिलना भी सवाल खड़े कर रहा है। अर्चना द्विवेदी ने अपनी व्यथा बताई। उनका कहना है न्याय मिलना तो दूर अभी तक सम्मान भी नहीं मिला। जबकि उनके पति ने जान गंवाकर जवाहर बाग को कब्जामुक्त कराया था। हिन्दुस्थान समाचार/महेश

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