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सीडीआरआई में दो कौशल विकास कार्यक्रमों के नए बैच 15 फरवरी से होंगे प्रारम्भ

लखनऊ, 29 जनवरी (हि.स.)। सीएसआईआर एकीकृत कौशल पहल के अंतर्गत, केन्द्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआई) लखनऊ में दो कौशल विकास कार्यक्रमों के नए बैच 15 फरवरी से प्रारम्भ होने जा रहे हैं, दोनों ही कोर्स छह सप्ताह की अवधि के है। बायोमेडिकल अनुप्रयोगों के लिए पैथोलॉजिकल उपकरण व तकनीक पर कौशल विकास के लिए कार्यक्रम इस प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का उद्देश्य अस्पताल, डायग्नोस्टिक, पैथोलॉजी, फॉरेंसिक प्रयोगशाला, अनुसंधान संस्थान एवं उद्योग में रोजगार के लिये कुशल मानव संसाधन तैयार करना है। यह पाठ्यक्रम, बुनियादी एवं महत्वपूर्ण पैथोलॉजी तकनीक पर आधारित है। पैथोलोजिकल-डायग्नोस्टिक लेबोरेटरी में कैसे काम किया जाता है तथा रक्त नमूना लेना, इंजेक्शन लगाना एवं अन्य आवश्यक स्किल्स का प्रशिक्षण इस प्रोग्राम में दिया जाएगा। इस कोर्स का उद्देश्य युवाओं के लिए रोजगार के बेहतर अवसर प्रदान करने के साथ ही हमारे देश की चिकित्सा सेवाओं की रिक्तता को भरना है। इस कोर्स के लिए आवश्यक योग्यता विज्ञान क्षेत्र में न्यूनतम इंटरमीडिएट पास होना अनिवार्य है। विगत वर्षों मे अनेक लोग इस कोर्स से लाभान्वित हुए है। इस कोर्स की पाठ्यक्रम संरचना में सैद्धांतिक और व्यावहारिक ज्ञान दोनों शामिल हैं तथा ये पैथोलॉजिकल टेक्निक्स बताता है जिससे रोजगार के कई रास्ते खुलते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों मे इसका बहुत उपयोग है, एवं अनेक प्रतिभागी इस से लाभान्वित हो रहे हैं। औषधि डिजाइन और विकास के लिए कम्प्यूटेशनल दृष्टिकोण यह पाठ्यक्रम औषधि, फार्मूलेशन, एग्रोकेमिकल्स और आणविक सामग्री के विकास में दक्षता, गुणवत्ता और जोखिम मूल्यांकन में सुधार करने के लिए फार्मा उद्योग में भौतिक, क्वांटम मैकेनिकल, औषधीय अनुसंधान में सांख्यिकीय तकनीकों और सूचना विज्ञान अनुप्रयोगों के सिद्धांत और अनुप्रयोग पर प्रशिक्षण प्रदान करता है। इस प्रशिक्षण के लिए आवश्यक योग्यता विज्ञान से स्नातक या परास्नातक एवं कम्प्यूटर का मूलभूत ज्ञान आवश्यक है। आधुनिक युग में दवा का परीक्षण करने के पहले उसकी संरचना कम्प्यूटर द्वारा जांची जा सकती है इसके लिए कुशल प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। इस पाठ्यक्रम में नई दवा की खोज, उसकी रसायनिक संरचना का अध्ययन का प्रशिक्षण दिया जाता है। ड्रग डिजाइनिंग की यह विधि नई औषधियों के अनुसंधान के लिए बेहद आवश्यक है। इसके माध्यम से अनुसंधान मे लगने वाले समय एवं धन दोनों की ही बचत हो जाती है, जिससे परोक्ष रूप से दवाओं की कीमत भी कम रखने में मदद मिलती है। यह प्रशिक्षण किसी भी दवा कम्पनी मे रोजगार पाने मे सहायक होगा, साथ ही छात्रों के लिए भी अत्यन्त उपयोगी है। हिन्दुस्थान समाचार/संजय-hindusthansamachar.in

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