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माध्यमिक शिक्षा के लेखा विभाग की लापरवाही, 38 शिक्षकों के वेतन मद की धनराशि सरेंडर

- शपथ लेकर वेतन जारी करने के थे आदेश - राजकीय कालेज में 97 शिक्षक नव नियुक्त मीरजापुर, 07 अप्रैल (हि.स.)। माध्यमिक शिक्षा विभाग के लेखा विभाग की लापरवाही के चलते जिले के राजकीय विद्यालयों में नव नियुक्त शिक्षकों को वेतन नहीं मिल पाया। लेखा विभाग की लेटलतीफी के चलते लगभग 38 सहायक अध्यापकों के वेतन की धनराशि अंतिम क्षणों में सरेंडर करनी पड़ी। महीनों से काम कर रहे सहायक अध्यापक लेखा विभाग की लापरवाही से खासे मर्माहत हैं। शिक्षकों के संकट से जूझ रहे राजकीय विद्यालयों को उबारने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़े ही शान व सम्मान से नियुक्ति प्रदान किया। अक्तूबर महीने में नियुक्त अध्यापक अपने घर से दूर किराए के मकान में रह कर शैक्षणिक कार्य कर रहे हैं। जिले में कुल 97 सहायक अध्यापक नियुक्त किए गए हैं। शासन ने इनके वेतन जारी करने के लिए पर्याप्त धनराशि भी जारी की। लेखा विभाग की ओर से शैक्षणिक अभिलेखों के सत्यापन के बाद वेतन जारी करने में हो रही देरी पर शासन ने 26 मार्च को अलग से आदेश जारी किया था। इसमें कहा गया था कि जिन अध्यापकों के शैक्षणिक अभिलेखों के सत्यापन में देरी हो रही हो, उनसे शपथ लेकर वेतन जारी किया जाए। बावजूद इसके लेखा अधिकारी और लेखाकार अध्यापकों की ऑनलाइन फीडिंग ही नहीं कर पाए। वित्तीय वर्ष के अंतिम क्षणों तक केवल 40 अध्यापकों को ही वेतन जारी हो पया। शेष की धनराशि कोषागार में सरेंडर किया गया। हालांकि कहा यह जा रहा है कि शासन से महज 78 अध्यापकों के वेतन के लिए ही धराशि मुहैया कराया गया था। राजकीय विद्यालयों में नव नियुक्त अध्यापकों को वेतन समय से नहीं दे पाने के लिए लेखाधिकारी को डीआईओएस देवकी सिंह ने नोटिस जारी कर कारण जानना चाहा है। हालांकि डीआईओएस ने भी यह स्वीकार किया कि यदि लेखा विभाग चाहता तो जितने अध्यापकों का बजट उपलब्ध था उनका शपथ लेकर वेतन दे सकता था। हिन्दुस्थान समाचार/ गिरजा शंकर

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