कोलकाता और दिल्ली को जोड़ने की प्रमुख कड़ी है नैनी यमुना ब्रिज, 15 अगस्त को 155 वर्ष
कोलकाता और दिल्ली को जोड़ने की प्रमुख कड़ी है नैनी यमुना ब्रिज, 15 अगस्त को 155 वर्ष

कोलकाता और दिल्ली को जोड़ने की प्रमुख कड़ी है नैनी यमुना ब्रिज, 15 अगस्त को 155 वर्ष

प्रयागराज, 15 जुलाई (हि.स.)। नैनी यमुना ब्रिज कोलकाता और दिल्ली दो प्रमुख महानगरों को जोड़ने की एक प्रमुख कड़ी है। यमुना नदी पर इस पुल को बनाने का कार्य अत्यंत दुरूह एवं कठिन था। 1855 में नैनी एवं प्रयागराज के बीच इस पुल को बनाये जाने की तैयारी शुरू की गई। इस दौरान लोकेशन भी डिजाइन कर ली गई और 1859 में पुल बनाने का कार्य प्रारम्भ हुआ था। इस पुल को इंजीनियर रेंडल ने डिजाइन किया था तथा ब्रिटिश इंजीनियर सिवले की देखरेख में बने इस पुल पर रेल आवागमन 15 अगस्त 1865 में प्रारंभ हुआ। पुल को बनाने में लगभग छह वर्ष का समय लगा। नायाब इंजीनियरिंग का नमूना नैनी यमुना ब्रिज हावड़ा-दिल्ली रेल मार्ग का सबसे महत्वपूर्ण पुल है। यह दो मंजिला ठोस लोहे का पुल है, इसके ऊपरी हिस्से में रेल संचालन एवं निचले हिस्से में सड़क यातायात का संचालन होता है। 14 पिलर पर बने नैनी ब्रिज की खास बात यह है कि इसके एक पिलर की डिजाइन हाथी पांव जैसा है। इस पुल की लंबाई 3150 फीट है, इसमें कुल 17 स्पैन है। जिसमें 14 स्पैन 61 मीटर, 02 स्पैन 12.20 मीटर के हैं तथा 01 स्पैन 9.18 मीटर का है। इस पुल के प्रत्येक पिलर की लम्बाई 67 फीट एवं चौड़ाई 17 फीट है। मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी के मुताबिक इस पुल को बनाते समय काफी मुश्किलें भी आई। पुल के अन्य पिलर 1862 तक बन गए थे लेकिन यमुना के तेज बहाव के चलते पिलर नंबर 13 बनाने में अत्यंत कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा था। पिलर नंबर 13 बनाने के लिए पानी का जलस्तर 9 फीट नीचे कर कुआं खोदा गया और नीचे राख और पत्थर की फर्श बिछाकर पत्थर की चिनाई की गई, जिसका व्यास 52 फिट था। तत्पश्चात इसके ऊपर पिलर का निर्माण किया गया। इस पिलर को हाथी पांव का आकार दिया गया। इस प्रकार 1865 में इस पुल का निर्माण कार्य पूर्ण हुआ था। इस पुल में लगभग 30 लाख क्यूबिक ईट एवं गारा का प्रयोग हुआ है। पिलर के नींव की गहराई 42 फीट तक है और निम्न जलस्तर से गर्डर के नीचे की ऊंचाई लगभग 58.75 फीट तक है। इसमें लगाए गए गर्डर का वजन लगभग 4300 टन है। उस समय इस पुल के निर्माण की लागत रु 44,46,300 रू. आई थी। जिसमें गर्डरों की लागत 1,46,300 रु थी। वर्ष 1913 में इसे डबल लाइन में परिवर्तित किया गया तथा 1928-29 में पुराने गर्डरों के स्थान पर नए गर्डर लगाए गए तथा वर्ष 2007 में लकड़ी के स्लीपर के स्थान पर स्टील चैनल स्लीपरों को लगाया गया। ब्रिटिश काल में निर्मित नैनी यमुना ब्रिज 15 अगस्त को 155 वर्ष का हो जायेगा और आज भी मजबूत स्थिति में और पूरी तरह सुरक्षित है। गौरतलब है कि प्रयागराज में वर्ष 1978 में भयंकर बाढ़ आई थी। जिस कारण शहर का अधिकांश हिस्सा जलमग्न हो गया था परन्तु इस पुल पर निर्बाध रूप से आवागमन जारी रहा। नैनी पुल की मजबूती का यह एक प्रमाण है और आज भी यह पुल मजबूती से खड़ा है। यह प्रयागराज वासियों के दैनिक जीवन का हिस्सा बन गया है। हावड़ा एवं नई दिल्ली व्यस्ततम मार्ग जोड़ने की यह एक महत्वपूर्ण कड़ी है। इस पुल पर प्रतिदिन लगभग 210 मेल-एक्सप्रेस एवं मालगाड़ियों का आवागमन होता है। यद्यपि इस समय कोरोना संक्रमण से बचाव के कारण प्रमुख मेल एक्सप्रेस गाड़ियों का ही संचालन किया जा रहा है। कुम्भ 2019 के अवसर पर एलईडी लाइट एवं फसाड लाइटिंग से इसे सुसज्जित किया गया था, जिस कारण रात्रि के समय इसकी सुन्दरता देखते ही बनती थी। हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/राजेश-hindusthansamachar.in

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