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माता ने नवजात जुड़वां पुत्रियों को ठुकराया, चिकित्सक ने ली उनके पालन पोषण की जिम्मेदारी

हापुड़, 22 फरवरी (हि. स.)। अस्पताल में दो जुड़वां पुत्रियों को जन्म देने वाली महिला ने जब अपनी ही संतान को स्वीकार करने से मना कर दिया तो जनपद की बेटी एक अविवाहित डॉक्टर ने उनके लालन-पालन की जिम्मेदारी स्वीकार कर ली। हापुड़ के निकट जनपद बुलन्दशहर के गांव ईसापुर निवासी एक डॉक्टर ने यह साहसिक निर्णय लेकर समाज को नयी दिशा दी। जन्म देते ही जुडवां पुत्रियों को उनकी माता ने ठुकरा दिया तो उसका इलाज करने वाली अविवाहित महिला डॉक्टर डॉ. कोमल यादव ने उन्हें अपना लिया। अस्पताल प्रबंधन ने डॉक्टर को इस सम्बन्ध में आने वाली समस्याएं बताकर बच्चियों को नहीं अपनाने की सलाह दी, लेकिन उसने एक नहीं सुनी। सभी औपचारिकताएं पूरी कर सोमवार को वह दोनों बेटियों को लेकर अपने गांव पहुंची तो पूरे गांव ने उसे हाथों हाथ लिया। बेटी बचाने की यह मिसाल पेश की है जनपद बुलन्दशहर के थाना गुलावठी के गांव ईसेपुर निवासी सीताराम यादव की 29 वर्षीय अविवाहित बेटी डॉ. कोमल ने। डॉ. कोमल यादव वर्तमान में फर्रुखाबाद के एक निजी अस्पताल में तैनात हैं। डॉक्टर कोमल के मुताबिक उनकी ड्यूटी के दौरान 10 दिन पहले एक महिला ने अस्पताल में जुड़वां पुत्रियों को जन्म दिया था। प्रसूता जुड़वां पुत्रियों के जन्म की जानकारी मिलने के बाद परेशान हो गई। प्रसूता और उसके परिजन ने अपनी दोनों पुत्रियों को स्वीकार करने से मना कर दिया। इसके बाद उन्होंने दोनों कन्या शिशुओं का लालन-पालन करने का निर्णय लिया। उनका मानना है कि इस पूरे घटनाक्रम में नवजात कन्या शिशुओं का तो कोई दोष नहीं है। उन्हें जीने का अधिकार दिया जाना चाहिए और उनका लालन-पालन भी भली प्रकार होना चाहिए। उनका कहना है कि वो शादी भी उसी से करेंगी जो इन दोनों बच्चियों को अपनाएगा। हिन्दुस्थान समाचार/विनम्र व्रत/दीपक

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