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5वीं सदी की बुद्ध प्रतिमा का दर्शन कर अभिभूत हुए मोरारी बापू

-शीश नवा की विश्व शांति की कामना कुशीनगर, 23 जनवरी (हि. स.)। कुशीनगर के महापरिनिर्वाण मन्दिर में स्थित बुद्ध की 5वीं सदी की शयनमुद्रा वाली प्रतिमा का दर्शन पाकर प्रख्यात रामकथा वाचक मोरारी बापू अभिभूत हो गए। उन्होंने दोनों हाथ जोड़ कर शीश नवाया,पुनः प्रतिमा की परिक्रमा कर विश्व शांति की कामना की। कुशीनगर में मोरारी बापू नौ प्रवास कर रामकथा का वाचन करेंगे। बापू का बुद्ध प्रतिमा के दर्शन का यह पहला अवसर था। शनिवार को रामकथा का पहला दिन था। कथा प्रारम्भ के पूर्व सुबह मोरारी बापू महापरिनिर्वाण मन्दिर पहुंच बुद्ध से आर्शीवाद प्राप्त किया। लगभग 15 मिनट मन्दिर परिसर में मौजूद रहकर बापू ने प्राचीन बुद्ध प्रतिमा की खूबियां भी जानी। सिर के तरफ से मुस्कुराती, मध्य से चिंतन व पैर की तरफ से शयन मुद्रा दर्शाती प्रतिमा की खूबियों को बापू ने न केवल महसूस किया बल्कि जी भर निहारा भी। उन्होंने परिसर में स्थित उत्खनित अवशेषों को भी देखा। महापरिनिर्वाण मन्दिर से बापू का काफिला मुकुतबन्धन चैत्य पहुंचा। मुकुतबन्धन चैत्य के बाहर से ही उन्होंने चैत्य का दर्शन किया। साथ चल रहे स्थानीय आयोजकों ने उन्हें चैत्य की ऐतिहासिकता बताई। बताया कि इस स्थल पर बुद्ध का अंतिम संस्कार हुआ था। चैत्य से सटे बह रही बुद्धकालीन हिरण्यवती नदी के सम्बन्ध में भी जानकारी प्राप्त की। इस दौरान पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारी व आयोजक मण्डल के अमर तुलस्यान, विक्रम अग्रवाल, सुमित त्रिपाठी पदाधिकारी मौजुद रहे। पुरातत्व अधिकारियों ने बुके भेंट कर बापू का स्वागत किया। दर्शन पर निकलने के पूर्व उन्होंने विश्राम स्थल पर पूजन व वातावरण की शुद्धि के लिए हवन किया। हिन्दुस्थान समाचार/गोपाल/दीपक-hindusthansamachar.in

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