meditation-dhamma-and-nirvana-by-buddha---morari-bapu
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ध्यान, धम्म व निर्वाण बुद्ध की देन-मोरारी बापू

कुशीनगर, 27 जनवरी (हि. स.)। प्रख्यात कथा व्यास मोरारी बापू ने कहा कि ध्यान, धम्म व निर्वाण बुद्ध की देन है। बुद्ध भले ही महामाया के उदर से पैदा हुए किन्तु वह आज भी अपनी शिक्षाओं के माध्यम से आज भी हमारे बीच मौजूद हैं। वह बुद्ध की निर्वाणस्थली कुशीनगर में हो रही रामकथा के पांचवे दिन यह बात कही। मोरारी बापू की कथा सुनने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही भी पहुंचे। चौपाई व उक्तियों के माध्यम से भाव व निहितार्थ बताते हुए बापू ने कहा कि बुद्ध दशावतार में आते हैं। बुद्ध की वंदना गोस्वामी तुलदीदास जी ने रामचरितमानस में की है। कहा कि धम्म ही धर्म है, पवित्रता व शुचिता ही धम्म है। जीवन में आंतरिक शुद्धता बहुत जरूरी है। यही सर्वश्रेष्ठ है। विकार का त्याग करें, सत्संग करें, बुद्ध के वचन हमें नहलाते हैं। कहा कि बुद्ध का पांव हमेशा जमीन पर रहा। कुछ कहना हुआ तो संकेतों में कहा। ध्यान और धर्म और निर्वाण की बात की। बुद्ध ने कहा कि मेरे से भी अच्छे बुद्ध हैं, फर्क यह है कि मुझे बोलना आता है, बाकी को बोलना नही आता। उन्होंने कहा कि सम्यक श्रद्धा को बुद्ध स्वीकार करते हैं। बुद्ध सरल होते हैं। शरीर को सात सोपानों का ग्रन्थ बताते हुए बापू ने कहा कि सात प्रकार की साधना से मनुष्य निर्वाण को प्राप्त हो जाता है। नाम, रूप, लीला,धाम, दान, सुमिरन, शून्य या पूर्ण में से किसी एक की भी साधना करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी ग्रन्थों का सार राम नाम है। केवल इसी का जाप करने मात्र से मनुष्य भवसागर पार कर जाता है। हिन्दुस्थान समाचार/गोपाल/दीपक-hindusthansamachar.in

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