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घर में प्रसव कराने में जच्चा-बच्चा के स्वास्थ्य को खतरा, अस्पताल में कराये प्रसव - सीएमओ

- वाराणसी में पिछले चार वर्षों में 1.37 लाख से अधिक महिलाओं को मिला ‘जननी सुरक्षा योजना’ का लाभ वाराणसी, 02 अप्रैल (हि.स.)। घर में गर्भवती महिलाओं को प्रसव कराने में जच्चा-बच्चा के स्वास्थ्य पर खतरा रहता है। घरेलू प्रसव होने पर जच्चा-बच्चा की हालत बिगड़ने की संभावना अधिक रहती है। उस स्थिति में दोनों को अस्पताल लाना पड़ता है। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों व जिला अस्पताल में प्रसव कराना चाहिए। सरकारी अस्पताल में प्रसव से जच्चा-बच्चा दोनों सुरक्षित रहते है। जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ वीबी सिंह ने शुक्रवार को बताया कि मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए सरकार ने 'जननी सुरक्षा योजना' शुरू की है। उन्होंने बताया कि सरकार का प्रयास है कि ज्यादा से ज्यादा महिलाओं का संस्थागत प्रसव कराया जाए। इसके लिए आशा, एएनएम लोगों में संस्थागत प्रसव के फायदे बताये। महिलाओं को जननी सुरक्षा योजना के बारे में जागरूक करें। जिससे शिशु एवं मातृ मृत्यु दर में कमी लायी जा सके। उन्होंने बताया कि संस्थागत प्रसव का सबसे बड़ा लाभ यह मिलता है कि प्रसव के समय जच्चा-बच्चा को सुरक्षित रखने के साथ ही प्रसव पश्चात आने वाली जटिलता को आसानी से संभाला जा सकता है। प्रसूता को जननी सुरक्षा योजना के तहत आर्थिक मदद भी मिलती है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि योजना में सरकारी अस्पताल पर प्रसव कराने पर ग्रामीण क्षेत्र की प्रसूताओं को 1400 रुपये व शहरी क्षेत्र की प्रसूताओं को 1000 रुपये की आर्थिक मदद दी जाती है। संस्थागत प्रसव का लाभ संस्थागत प्रसव में कुशल डॉक्टर व प्रशिक्षित स्टाफ की देखरेख में जिला चिकित्सालय और स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रसव होता है। किसी भी जटिल परिस्थिति से निपटने में आसानी रहती है। इसके साथ ही निःशुल्क दवाईयों और उपकरणों की मौजूदगी, बच्चे की जटिलता पर तुरंत चिकित्सीय सुविधा, संक्रमण का खतरा न रहना, खून की कमी पर पूर्ति की सुविधा आदि रहती है। एसीएमओ एवं नोडल अधिकारी डॉ एके मौर्य ने बताया कि प्रसव बाद बच्चे को सांस नहीं आ रही या धीमी आ रही है। तो सिक न्यूबोर्न केयर यूनिट (एस०एन०सी०यू०) में निःशुल्क इलाज की सुविधा मौजूद है। वाराणसी में संस्थागत प्रसव का दर नोडल अधिकारी डॉ एके मौर्य ने बताया कि वाराणसी जिले में वर्ष 2017-18 (अप्रैल से मार्च) में जननी सुरक्षा योजना के अन्तर्गत 36731, वर्ष 2018-19 में 34419, वर्ष 2019-20 में 38429 एवं वर्ष 2020-21 में जनवरी 2021 तक 27940 संस्थागत प्रसव कराये गये। इन महिलाओं को जननी सुरक्षा योजना का लाभ प्रदान किया। इस तरह लगभग चार वर्षों में कुल 1,37,519 महिलाओं को जननी सुरक्षा योजना का लाभ दिया गया। लाभार्थी भी गदगद चिरईगांव ब्लॉक की लाभार्थी सुनीता (26) के पति गोविंद राजभर ने बताया कि कुछ दिन पहले सरकारी अस्पताल में उन्होंने अपनी पत्नी का प्रसव कराया। प्रसव से पहले बहुत अधिक दर्द हो रहा था। ऐसी स्थिति में चिकित्सकों का सहयोग मिला। गोविंद ने सरकार की योजना की जमकर तारीफ की। इसी तरह चिरईगांव ब्लॉक लाभार्थी खुशी (27) के पति अखिलेश यादव ने बताया कि आशा दीदी की मदद से तुरंत ही सरकारी अस्पताल में प्रसव कराने का निर्णय लिया और सफलतापूर्वक प्रसव कराया। साथ में जननी सुरक्षा योजना का लाभ भी मिला। अखिलेश यादव ने सरकार की योजना को सराहा और कहा कि विकट परिस्थिति के बावजूद भी सरकारी अस्पताल में ही प्रसव कराना चाहिए। हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर

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