अलग देशों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है मकर संक्रांति को : डॉ. सत्यप्रकाश मणि त्रिपाठी
देवरिया,14 जनवरी ( हि.स.)। मकर संक्रांति के अवसर पर सदर विधायक डॉ. सत्य प्रकाश मणि त्रिपाठी ने ग्रामसभा उधोपुर में सहभोज का आयोजन किया। इस दौरान विधायक ने गांव के लोगो के साथ बैठ कर गुरुवार को गुड़-तिल का प्रसाद और खिचड़ी खाया। सदर विधायक डॉ. सत्य प्रकाश मणि त्रिपाठी ने कहा कि सूर्य के उत्तरायण का यह पर्व केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि जहां-जहां भारतीय जीवन दृष्टि मिलती हैं उन सब देशों में हैं। बांग्लादेश में पौष संक्रांति है तो नेपाल में माघी संक्रांति या सूर्योत्तरायण। नेपाल की थारू जाति के लिए यह माघी हैं। थाईलैंड में सोंगकरन है तो लाओस में पी मा लाउ। म्यांमार में इसे थिरआन के नाम से मनाते हैं तो कंबोडिया में मोहा संगक्रांत। श्रीलंका में भी यह पोंगल और उझवल तिरुनल के रूप में मनाया जाता हैं। उन्होंने कहा कि यह पर्व देवताओं का नवविहान हैं तो वैदिक भारत का नव वर्ष भी भारत मे यह भी यह पर्व बिहू,पोंगल,खिचड़ी आदि कई नामों से मनाया जाता हैं। सामाजिक समरसता का यह पर्व हमारी सनातन संस्कृति की याद दिलाता हैं । मकर संक्रांति एक ऐसा पर्व हैं जो लौकिक भी हैं और शास्त्रीय भी क्योंकि यह व्यापारियों और श्रेणी संघटनों के लिए संक्रांति हैं तो किसानों के लिए खिचड़ी हैं। सर्वत्र जहां भी मकर संक्रांति हैं वहां तिल हैं, गुड़ हैं, कृषि उत्पादों की खिचड़ी हैं , दान है, स्नान हैं, उत्साह हैं, उमंग हैं। खिचड़ी सभी अनाजों का मिल जाना हैं। पककर सुपाच्य हो जाना हैं । उन्होंने कहा कि ज्ञान भी पक कर तरल हो जाता हैं। इसी लिए संक्रांति एक ऐसा पर्व हैं जो लौकिक भी हैं और शास्त्रीय भी। लोक के आयोजन में शास्त्रीयता हैं और शास्त्रीय अनुष्ठान में लोक की उपस्थिति हैं। यह त्योहार लोक और शास्त्र का, लौकिक और पारलौकिक का, गीत और गति का, प्रकाश और प्रसार का पर्व हैं। इस लिए ही यह भारतीयता का उत्तरायण पर्व हैं। इस दौरान हंसनाथ यादव,ओमप्रकाश मणि,अम्बिकेश पाण्डेय, धनुषधारी मणि त्रिपाठी,नीलू मणि, विकास मणि त्रिपाठी गोलू उपस्थित रहें । हिन्दुस्थान समाचार / ज्योति /-hindusthansamachar.in