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कुपोषण दूर करने में मददगार है मक्का, बेहतर रहता है पाचन तंत्र : डा. एच जी प्रकाश

— खरीफ की फसल के लिए 87 किसानों को वितरित किया गया मक्का का बीज कानपुर, 14 जून (हि.स.)। खरीफ की फसलों में मक्का का महत्वपूर्ण स्थान है और उत्तर प्रदेश में खरीफ मक्का का क्षेत्रफल लगभग 6.74 लाख हेक्टेयर है। इसका उत्पादन 13.92 लाख मीट्रिक टन है जबकि औसत उत्पादकता 20.67 कुंतल प्रति हेक्टेयर है एवं कानपुर मंडल में मक्का का क्षेत्रफल लगभग 7500 हेक्टेयर है। यह कुपोषण को दूर करने में जहां मददगार साबित होता है तो वहीं इसके सेवन से पाचन तंत्र भी बेहतर रहता है। यह बातें सोमवार को सीएसए के निदेशक शोध डा. एचजी प्रकाश ने कही। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के शोध निदेशालय के अंतर्गत संचालित कास्ट एन सी परियोजना के अंतर्गत विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए जैव संवर्धित गांव अनूपपुर में निदेशक शोध डॉ एच जी प्रकाश ने उपस्थित वैज्ञानिकों के साथ गांव के लोगों में कुपोषण दूर करने के लिए खरीफ मक्का के बीजों को 87 किसानों को वितरण किया गया। निदेशक शोध ने कहा कि अधिकतर किसान भाई खरीफ मक्का की बुवाई भुट्टों के लिए करते हैं जिसे बाजार में बेचकर अच्छी आमदनी प्राप्त करते हैं। इस समय किसान भाई खरीफ मक्का की बुवाई कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि खरीफ मक्का का प्रबंधन यदि अच्छी प्रकार किया जाए तो एक हेक्टेयर क्षेत्रफल से लगभग 60 से 70 कुंतल दाना तथा 220 से 230 कुंतल हरा भुट्टा प्राप्त किया जा सकता है। यही नहीं इतना ही हरा चारा पशुओं के लिए मिल जाता है जिससे गर्मियों में हरा चारा की कमी को पूरा किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इसमें प्रोटीन 9 से 11% तथा स्टार्च 73 से 75% एवं कार्बोहाइड्रेट 70 से 75% तक पाया जाता है। इसके साथ ही मक्का में मिनरल, जिंक ,मैग्नीशियम, कापर, आयरन व फास्फोरस एवं कैल्शियम भी पाया जाता है जो कि स्वास्थ्य की दृष्टि से काफी लाभकारी है और मक्का सुपाच्य भोजन भी है। इस दौरान कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं नोडल अधिकारी डॉ अशोक कुमार, डॉक्टर भानु प्रताप सिंह, डॉ खलील खान, डॉ अरुण कुमार सिंह, डॉ अरविंद कुमार, डॉक्टर चंद्रकला यादव सहित गांव के सैकड़ों पुरुष एवं महिला किसान उपस्थित रहें। इस तरह करें फसल प्रबंधन डा. प्रकाश ने बताया कि मक्का की बुवाई के 15 से 20 दिनों के बाद पहली सिंचाई अवश्य कर दें, तत्पश्चात अगली सिंचाई आवश्यकता अनुसार 10 से 15 दिन के अंतराल पर करते रहें। खरीफ मक्का में खरपतवारो के नियंत्रण के लिए खुरपी की सहायता से निराई कर दें, जिससे खरपतवार प्रबंधन हो जाता है तथा मिट्टी में स्वसन क्रिया बढ़ने से पौधे स्वस्थ हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि उर्वरक प्रबंधन के लिए खड़ी फसल में यूरिया का छिड़काव 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से पहली सिंचाई के बाद ओट आने के बाद सायं कॉल करें। फसल सुरक्षा के लिए यदि मक्का में तना छेदक /शिरा बेधक कीट लगा हुआ है तो इसके नियंत्रण के लिए 25 ई.सी. 1 लीटर डाईमैथओट या क्योंनालफास् 25 ई.सी. डेढ़ लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 400 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें। पत्तियों या पौधों पर किसी प्रकार का कोई रोग दिखाई पड़े तो जीनेव या मैनकोज़ेब 75% 2 किलोग्राम 500 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर दें। कीट या रोग फसल में पुनः दिखने पर 15 दिन के बाद छिड़काव कर दें। हिन्दुस्थान समाचार/अजय

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