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एक हेक्टेयर में 60 से 70 क्विंटल हो सकता है मक्का, हरा चारा की भी नहीं होगी कमी

- आमदनी बढ़ाने के लिए मक्का की दो लाइनों के बीच में लोबिया की करें बुवाई कानपुर, 25 अप्रैल (हि.स.)। जायद की फसलों में मक्का की फसल से किसान बेहतर आमदनी कर सकता है, लेकिन इसके प्रबंधन पर खास जोर देना होगा। एक हेक्टेयर में 60 से 70 क्विटंल आसानी से मक्का का दाना तैयार किया जा सकता है। यही नहीं यह ऐसी फसल है जिससे गर्मियों के दिनों में जानवरों को बेहतर हरा चारा भी उपलब्ध हो जाता है। मक्का की फसल से आमदनी बढ़ाने के लिए एक और तरीका है, यानी मक्का की दो लाइनों के बीच में लोबिया की बुवाई कर देना चाहिये। यह बातें रविवार को सीएसए के मक्का वैज्ञानिक डा. हरीश चन्द्र सिंह ने कही। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के मक्का वैज्ञानिक डा. हरीश चंद्र सिंह ने बताया कि जायद की फसलों में मक्का का महत्वपूर्ण स्थान है। उत्तर प्रदेश में जायद मक्का का क्षेत्रफल लगभग 45000 हेक्टेयर है एवं कानपुर मंडल में मक्का का क्षेत्रफल लगभग 7500 हेक्टेयर है। कहा कि अधिकतर किसान भाई जायद मक्का की बुवाई भुट्टों के लिए करते हैं जिसे बाजार में बेचकर अच्छी आमदनी प्राप्त करते हैं। इस समय किसान भाई जायद मक्का की बुवाई लगभग कर चुके हैं। उन्होंने कहा है कि जायद मक्का का प्रबंधन यदि अच्छी प्रकार किया जाए तो एक हेक्टेयर क्षेत्रफल से लगभग 60 से 70 क्विंटल दाना तथा 220 से 230 क्विंटल हरा भुट्टा प्राप्त किया जा सकता है। इतना ही हरा चारा पशुओं के लिए मिल जाता है, जिससे गर्मियों में हरा चारा की कमी को पूरा किया जा सकता है। फसल प्रबंधन के क्रम में डॉ सिंह ने बताया कि मक्का की बुवाई के 15 से 20 दिनों के बाद पहली सिंचाई अवश्य कर दें। तत्पश्चात अगली सिंचाई आवश्यकता अनुसार 10 से 15 दिन के अंतराल पर करते रहें। जायद मक्का में खरपतवारों के नियंत्रण के लिए खुरपी की सहायता से निराई कर दें जिससे खरपतवार प्रबंधन हो जाता है तथा मिट्टी में स्वसन क्रिया बढ़ने से पौधे स्वस्थ हो जाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उर्वरक प्रबंधन के लिए खड़ी फसल में यूरिया का छिड़काव 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से पहली सिंचाई के बाद ओट आने के बाद सायं कॉल करें। फसल सुरक्षा के लिए यदि मक्का में तना छेदक/शिरा बेधक कीट लगा हुआ है तो इसके नियंत्रण के लिए 25 ई.सी. 1 लीटर डाईमैथओट या क्योंनालफास् 25 ई.सी. डेढ़ लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 400 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें। यदि यह दवा बाजार में उपलब्ध ना हो तो कार्बोफयूरान 3जी की 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बुरकाव कर दें। पत्तियों या पौधों पर किसी प्रकार का कोई रोग दिखाई पड़े तो जीनेव या मैनकोज़ेब 75 प्रतिशत 2 किलोग्राम 500 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर दें। कीट या रोग फसल में पुनः दिखने पर 15 दिन के बाद छिड़काव कर दें। डॉक्टर हरीश चंद्र सिंह के जरिये मीडिया प्रभारी डा. खलील खान ने कहा कि मक्का की फसल में जीरा या भुट्टा बनते समय मृदा में नमी का ध्यान जरूर रखा जाए उन्होंने कहा कि आमदनी बढ़ाने के लिए मक्का की दो लाइनों के बीच में लोबिया की बुवाई कर दें जिससे कीट पतंगों का प्रकोप कम होता है। तथा किसान भाइयों को अतिरिक्त आमदनी प्राप्त हो जाती है इसके अतिरिक्त उन्होंने कहा कि किसान भाई इन सब बातों का ध्यान रखकर मक्का का प्रबंधन करते हैं तो अच्छी आय प्राप्त होगी। कृषि कार्य करते समय कोविड-19 को दृष्टिगत रखते हुए सामाजिक दूरी अवश्य बनाए रखें। हिन्दुस्थान समाचार/अजय

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