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काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र स्थित पौराणिक वट वृक्ष गिरा, लोगों में आक्रोश

- विश्वनाथ कॉरिडोर में निर्माण कार्य करा रही कम्पनी और मंदिर प्रशासन के खिलाफ लोगों में आक्रोश वाराणसी, 28 अप्रैल (हि.स.)। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र स्थित अति प्राचीन वृक्ष अक्षय वट बुधवार को अचानक उखड़ कर धराशाई हो गया। पौराणिक महत्व के वृक्ष के गिरने की सूचना पाते ही मंदिर के पुजारियों, महंत परिवार और श्रद्धालु लोगों में आक्रोश फैल गया। मौके पर भी पुजारी पहुंच गये। पौराणिक वृक्ष के गिरने पर लोग सोशल मीडिया में भी नाराजगी जताते रहे हैं। लोगों ने आरोप लगाया कि श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में निर्माण कार्य कर रही पीएसपी कंपनी और मंदिर प्रशासन के लापरवाही से ये वटवृक्ष गिरा है। काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत के परिवार ने बताया कि वट वृक्ष का ऐसे गिरना अनिष्ट का संकेत है। काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र स्थित अक्षयवट हनुमान मंदिर के महंत परिवार के लोगों का कहना है कि प्रदेश के राज्यमंत्री डॉ नीलकंठ तिवारी को इसकी जानकारी देने के लिए फोन करने का प्रयास किया गया। लेकिन उनसे सम्पर्क नहीं हो पाया। महंत परिवार ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी इसकी शिकायत करने की बात कही है। महंत परिवार का आरोप था कि अधिकारियों को अवगत कराया था कि वृक्ष और अंजनी पुत्र के विशाल विग्रह को संरक्षित और सुरक्षित रखते हुए ही कार्य किया जाए,लेकिन उन्होंने लापरवाही बरती। बताते चले, पौराणिक वटवृक्ष के नीचे लोग दंडी स्वामी और अन्य संतों को भोजन कराते रहे है। यहां लोग अपने परिजनों और पूर्वजो का श्राद्ध कर्म भी करते रहे हैं। गया, प्रयागराज के बाद काशी में ही ये पौराणिक महत्व का वर्षो पुराना वटवृक्ष रहा। तीनों स्थानों पर हनुमान जी अलग-अलग मुद्रा में विराजमान हैं। गया में बैठे हैं, प्रयागराज में लेटे हैं। काशी में हनुमान जी खड़े मुद्रा में हैं। हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर

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