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कुशीनगर : रामभक्तों के लिए बौद्ध विहारों ने खोले द्वार, मोरारी बापू की रामकथा

कुशीनगर, 22 जनवरी (हि. स.)। कुशीनगर में 23 से 31 जनवरी तक होने वाली रामकथा के लिए बौद्ध विहारों ने द्वार खोल दिए है। सुदूर प्रदेशों से आ रहे राम भक्तों को अपने परिसर में आतिथ्य सुलभ करा रहे हैं। बौद्ध विहारों के प्रबंधक न केवल रामभक्तों को बुद्ध के प्राचीन व पुरातात्विक महत्व के स्मारकों, प्रतिमाओं, खंडित अवशेषों से सम्बंधित परिसर आदि का भ्रमण करायेंगे बल्कि उन स्थलों से जुड़े साहित्य व बौद्ध साहित्य भी उपलब्ध करायेंगे। रामकथा में बिहार, कर्नाटक, गुजरात, मध्यप्रदेश, तेलांगना समेत प्रदेश के बनारस, कानपुर, लखनऊ आदि शहरों के श्रद्धालु आ रहे हैं। श्रद्धालुओं के ठहरने के व्यवस्था होटलों में कम पड़ी तो आयोजकों ने बौद्ध विहारों से सम्पर्क साधा। म्यांमार बौद्ध विहार, तिब्बती बौद्ध विहार, बुद्ध मित्र बौद्ध विहार के प्रबंधकों ने न केवल श्रद्धालुओं के लिए कमरे मुहैया कराए बल्कि भ्रमण आदि की सहूलियत प्रदान करने की बात कही। महापरिनिर्वाण पथ पर लगाए पंचशील ध्वज बौद्ध विहार के प्रबंधक बौद्ध भिक्षुओं ने पूरे महापरिनिर्वाण पथ पर पंचशील ध्वज लगाए हैं। सम्पूर्ण बौद्ध जगत में पंचशील ध्वज का विशेष महत्व है। ध्वज का नीला रंग समता व व्यापकता, पीला रंग पवित्रता व करुणा, लाल रंग गतिशीलता, सफेद शांति व शुद्धता, केसरिया त्याग व सेवा का प्रतीक है। बौद्ध भिक्षु महेंद्र ने बताया कि ध्वज सम्पूर्ण विश्व को शांति, प्रगति मानवतावाद और समाज कल्याण की प्रेरणा देता है। पंचशील ध्वज के माध्यम से श्रद्धालु इस सन्देश को ग्रहण करेंगे। हिन्दुस्थान समाचार/गोपाल/दीपक-hindusthansamachar.in

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