कुश की नगरी 'धोपाप' की मिट्टी व जल भी श्रीराम मंदिर के भूमि पूजन में होगा समाहित
कुश की नगरी 'धोपाप' की मिट्टी व जल भी श्रीराम मंदिर के भूमि पूजन में होगा समाहित

कुश की नगरी 'धोपाप' की मिट्टी व जल भी श्रीराम मंदिर के भूमि पूजन में होगा समाहित

-श्रीरामजन्मभूमि मंदिर के भूमि पूजन को लेकर भी खासा उत्साह - रावणवध के पश्चात ब्रह्मदोष से मुक्ति के लिए श्रीराम ने लगाई थी धोपाप में डुबकी सुल्तानपुर, 30 जुलाई (हि.स.)। श्रीराम मंदिर भूमि पूजन के लिए अयोध्या की सीमा से सटे कुश की नगरी कुशभवनपुर (सुल्तानपुर) के धोपाप से भी जल व मिट्टी को समाहित किया जायेगा। भाजपा विधायक देवमणि द्विवेदी आदिगंगा गोमती का पवित्र जल व धाम की पवित्र मिट्टी लेकर अयोध्या के लिए रवाना हो गये हैं। अयोध्या के प्रस्तावित श्रीरामजन्मभूमि मंदिर के भूमि पूजन में पांच अगस्त को रामायणकालीन ऐतिहासिक तीर्थराज धोपाप धाम की मिट्टी भी समाहित की जाएगी। गुरुवार को स्थानीय भाजपा विधायक देवमणि द्विवेदी आदिगंगा गोमती का पवित्र जल व धाम की पवित्र मिट्टी लेकर अयोध्या के लिए रवाना हो गए। इसके पहले धोपाप की मिट्टी-जल से सुसज्जित रथ का नगर समेत प्रमुख कस्बों में स्वागत-अभिनंदन भी किया गया। भाजपा विधायक देवमणि द्विवेदी पत्नी के साथ सुबह धाम पहुँचे। सबसे पहले वे गोमती नदी में पूजन-अर्चन किया। वहां से कलश में जल भरकर टीले पर मौजूद श्रीराम जानकी मंदिर में पूजन-अर्चन किया। इसके बाद मन्दिर के ठीक सामने की पवित्र मिट्टी कलश में भरा गया। सुसज्जित रथ पर पवित्र मिट्टी व जल कलश रखकर उसे आसपास के अनेक प्रमुख कस्बों में ले जाया गया। कोइरीपुर शिवालय, चांदा शिव मंदिर, श्री राम दरबार मन्दिर लंभुआ व हनुमानगंज के शिव मंदिर के सामने मौजूद लोगों ने रथ का स्वागत किया। हनुमानगंज से रथ सीधे अयोध्या के लिए रवाना हो गया। ब्रह्महत्या दोष से मुक्ति के लिए भगवान श्रीराम ने किया था 'धोपाप' पर स्नान मान्यता है कि त्रेता युग में लंका विजय व रावण वध के पश्चात ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति के लिए भगवान श्रीराम ने अयोध्या की सीमा में प्रवेश के पूर्व-दक्षिण कोशल राज्य (वर्तमान सुल्तानपुर) में आदिगंगा गोमती के तट पर स्नान किया था। तभी से यह स्थल 'धोपाप' नाम से विख्यात हो गया। कई पौराणिक ग्रंथों में इस स्थल का जिक्र है। पौराणिक महत्व वाले इस तीर्थस्थल पर करीब चार सौ वर्ष पहले दियरा रियासत की रानी स्वरूप कुंवरि ने श्रीरामजानकी मंदिर का निर्माण कराया था। यहां सैकड़ों वर्षों से प्रत्येक गंगा दशहरा पर्व पर लाखों की संख्या में लोग पुण्य प्राप्त करने के लिए डुबकी लगाने पहुंचते हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम से जुड़ाव की वजह से तीर्थराज धोपाप का विशेष महत्व है। हिन्दुस्थान समाचार/दयाशंकर/राजेश-hindusthansamachar.in

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