Know how to make the sun strong in the horoscope, donate and worship on the day of Makar Sankranti
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कुंडली में सूर्य को करें मजबूत जानें मकरसंक्रांति के दिन कैसे करें दान एवं पूजा

कासगंज, 13 जनवरी (हि.स.)। जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है तो उसे मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को उत्तरायण पर्व के रूप में भी मनाया जाता क्योंकि इस दिन से ही सूर्य छह माह के लिए उत्तरायण होते हैं। इस दिन सूर्य पूजा और दान स्नान का बहुत महत्व माना गया है। इस पर्व के संबंध में सोरों शूकर क्षेत्र के युवा ज्योतिषी पंडित गौरव दीक्षित बताते हैं ज्योतिष के अनुसार यदि इस दिन अपनी राशि के अनुसार दान दिया जाए तो व्यक्ति को कई गुना ज्यादा शुभ फल की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं कि आपको अपनी राशि के अनुसार कौन सा दान शुभ रहेगा। मेष राशि को जातको को तिल और चादर का दान किसी जरूरतमंद व्यक्ति को करना चाहिए। वृषभ राशि के जातको को वस्त्र और तिल का दान करना चाहिए। मिथुन राशि के जातको को लिए चादर एवं छाते का दान करना शुभफलदायी रहेगा। कर्क राशि को लोगों को मकर संक्रांति के दिन साबूदाना एवं वस्त्र का दान करना चाहिए। सिंह राशि वालों को क्षमतानुसार कंबल एवं चादर का दान जरूरतमंदों को करना चाहिए इससे शुभफल की प्राप्ति होगी। कन्या राशि को जातको को मकर संक्रांति पर तेल तथा उड़द दाल का दान करना चाहिए। तुला राशि को लोगों के लिए राई, रूई,और सूती वस्त्रों का दान करना चाहिए यदि हो सके तो चादर का दान भी करें। वृश्चिक राशि को जातको के लिए खिचड़ी का दान करना शुभफलदायी होगा। इसके साथ ही क्षमता के अनुसार कंबल का दान भी कर सकते हैं। धनु राशि वाले व्यक्तियों के लिए मकर संक्रांति के दिन चने की दाल का दान करना शुभ रहेगा। मकर राशि के जातको को जरूरतमंदों को कंबल का दान करना चाहिए एवं किसी विद्यार्थी को पुस्तकों का दान भी करना चाहिए। कुंभ राशि के जातक यदि मकर संक्रांति के दिन साबुन, वस्त्र, कंघी और अन्न का दान करें तो यह बहुत शुभ रहेगा। मीन राशि को जातकों को मकर संक्रांति पर साबूदाना,कंबल सूती वस्त्र तथा चादर आदि चीजों का दान करना चाहिए। मकर-संक्रांति के दिन पुण्यकाल मकर-संक्रांति 2021 का पुण्यकाल का समय प्रात: 8 बजकर 05 मिनट से आरंभ होकर रात्रि 10 बजकर 46 मिनट तक रहेगा। सूर्य साधना का दिन है मकर संक्रांति- मकर संक्रांति भगवान सूर्य का प्रिय पर्व है। सूर्य की साधना से त्रिदेवों की साधना का फल प्राप्त होता है। ज्ञान-विज्ञान, विद्वता, यश, सम्मान, आर्थिक समृद्धि सूर्य से ही प्राप्त होती है। सूर्य इस ग्रह मंडल के स्वामी हैं। ऐसे में सूर्योपासना से समस्त ग्रहों का कुप्रभाव समाप्त होने लगता है। इस दिन सूर्य का मंत्र- 'ऊं घृणि: सूर्याय नम:' का जप या 'ऊं ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:' का जप करना चाहिए। इस दिन स्नान कर कलश या तांबे के लोटे में पवित्र जल भरकर उसमें चंदन, अक्षत और लाल फूल छोड़कर दोनों हाथों को ऊंचा उठाकर पूर्वाभिमुख होकर भगवान सूर्य को 'एही सूर्य सहस्त्रांसो तेजोराशे जगत्पते। अनुकम्पय मां भक्त्या गृहाणार्घ्यं दिवाकर।' मंत्र से जलार्पण करना चाहिए। इस दिन सूर्य से संबंधित स्तोत्र, कवच, सहस्त्र नाम, द्वादश नाम, सूर्य चालीसा आदि का पाठ करना चाहिए मकर संक्रांति का महत्व सूर्य प्रत्येक मास में एक राशि पर भ्रमण करते हुए 12 माह में सभी 12 राशियों का भ्रमण कर लेते हैं। फलत: प्रत्येक माह की एक संक्रांति होती है। सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे मकर संक्रांति कहते हैं। इसका महत्व इसलिए है क्योंकि इस दिन सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं। उत्तरायण काल को ही प्राचीन ऋषियों ने साधनाओं का सिद्धिकाल व पुण्यकाल माना है। मकर संक्रांति सूर्योपासना का महापर्व है। मकर से मिथुन तक की छह राशियों में छह महीने तक सूर्य उत्तरायण रहते हैं तथा कर्क से धनु तक की छह राशियों में छह महीने तक सूर्य दक्षिणायन रहते हैं। कर्क से मकर की ओर सूर्य का जाना दक्षिणायन तथा मकर से कर्क की ओर जाना उत्तरायण कहलाता है। सनातन धर्म के अनुसार उत्तरायण के छह महीनों को देवताओं का एक दिन और दक्षिणायन के छह महीनों को देवताओं की एक रात्रि मानी जाती है। हिन्दुस्थान समाचार/ पुष्पेंद्र-hindusthansamachar.in

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