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कासगंज : दूसरे दिन भी नहीं मिले गंगा में डूबे तीन युवक

कासगंज, 28 फरवरी (हि.स.)। जिले के दो अलग-अलग घाटों से गंगा स्नान के दौरान लापता हुए युवकों के संबंध में अभी तक कोई जानकारी नहीं मिली है। रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। पीएसी सहित गोताखोरों की 5 टीमें गंगा में डूबे युवकों का लगातार ढूंढने का प्रयास कर रही हैं। बीते शनिवार को माघ पूर्णिमा पर्व पर गंगा स्नान के लिए कादरगंज घाट पर पहुंचे, क्षेत्र के ग्राम बड़ौला निवासी सत्यम, सुभाष, शिवम, गोविंद एवं अनुज अचानक डूब गए। सत्यम सुभाष एवं शिवम को बचा लिया गया, लेकिन गोविंद और अनुज लापता हो गए। इसी तरह से शाहबाजपुर गंगा घाट पर कलश विसर्जन करने पहुंचे युवक ग्राम खिदरपुर नागर निवासी भूपेंद्र, वीरेश, प्रशांत भी गंगा में स्नान करते वक्त डूब गए। इनमें से वीरेश एवं भूपेंद्र को सकुशल बचा लिया गया। जबकि प्रशांत गंगा की धार में बहता चला गया। तीन युवक के गंगा की धार में लापता होने से इलाके में कोहराम मच गया।प्रशासनिक अमला मौके पर पहुंच गया। दूबे युवकों की तलाश देर रात्रि तक जारी रही। रविवार को सुबह से ही तलाश फिर से प्रारंभ हो गई। जिलाधिकारी सीपी सिंह एवं पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सोनकर लगातार गोताखोरों की कार्रवाई पर नजर बनाए हुए हैं। लेकिन शाम तक गोताखोरों को कोई भी सफलता प्राप्त नहीं हुई थी। रेस्क्यू ऑपरेशन अनवरत रूप से जारी है। कादरगंज घाट चौकी के इंचार्ज महावीर सिंह के मुताबिक गंगा में युवकों की तलाश की जा रही है लेकिन अभी तक कोई पता नहीं चला है। जबकि शाहबाजपुर मैं भी तलाश जारी है यहां के थाना प्रभारी धर्मेंद्र पवार ने बताया है कि प्रशांत की तलाश हो रही है। अन्य जिलों में भी की जा रही तलाश गंगा की धार में स्नान के दौरान लापता हुए जिले के तीन युवकों की लगातार तलाश की जा रही है। पीएसी के गोताखोरों समेत 5 टीमें तलाश में जुटी हुई है। जनपद फर्रुखाबाद की सीमा में जब गंगा प्रवेश करती है। यहां भी गोताखोर लापता युवकों की तलाश कर रहे हैं। विशेष पर्व पर गंगा स्नान के लिए बननी चाहिए नीति जिले में गंगा घाटों पर विशेष पर बड़ी संख्या में स्नान करने वालों की भीड़ गंगा घाटों पर रहती है। उत्तर प्रदेश के अलावा गैर प्रदेशों से भी बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं। भीड़ का अतिरेक बना रहता है। बाहन भी काफी संख्या में रहते हैं। इसके लिए सुव्यवस्थित करने हेतु कोई विशेष नीति जिला प्रशासन द्वारा नहीं बनाई जाती है। जिससे गंगा घाटों पर इस तरह की घटनाएं लगातार होती रहती हैं। इंजीनियर अमित तिवारी का कहना है कि जिला प्रशासन को पर्वों को ध्यान में रखते हुए विशेष नीति या फिर योजना तैयार कर गंगा स्नान जैसे पर्व को संपन्न कराना चाहिए। पक्के होंगे घाट तक रुकेंगी घटनाएं जिले के कई गंगाघाट ऐसे हैं जहां उनके किनारे कच्चे हैं। जिससे कभी-कभी गंगा कटान भी करती है। इसके अलावा पर्वों के दौरान भीड़ के चलते तमाम दुर्घटनाएं हो जाती हैं। इसका कारण घाटों का पक्का ना होना है। यदि घाट पक्के हो तो इस तरह की दुर्घटनाएं नहीं हो पाएगी। गंगा के घाटों पर सूचकांक का लगना भी आवश्यक है। जिससे पानी की गहराई का आकलन हो सके। जिला प्रशासन इस मामले को लेकर पहल करे तो ऐसी घटनाओं पर विराम लग सकेगा। हिन्दुस्थान समाचार/पुष्पेंद्र

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