कानपुर एनकाउंटर : शहीद आरक्षी सुल्तान बेटी को बनाना चाहते थे डाॅक्टर
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कानपुर एनकाउंटर : शहीद आरक्षी सुल्तान बेटी को बनाना चाहते थे डाॅक्टर

कानपुर एनकाउंटर : शहीद आरक्षी सुल्तान बेटी को बनाना चाहते थे डाॅक्टर झांसी,03 जुलाई (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के कानपुर में बीती रात मुठभेड़ में शहीद हुए आठ पुलिस कर्मियों ने आरक्षी सुल्तान सिंह मऊरानीपुर में ही पले बढ़े थे। सुल्तान का ख्वाव अपनी सात साल की बेटी को अच्छा डाॅक्टर बनाने का था। कानपुर में मुठभेड़ के दौरान सुल्तान के शहीद होने की खबर के बाद से उनके ननिहाल में मातम पसरा हुआ है। वही, पुलिस महकमे में राजकीय सम्मान के साथ उनके अन्तिम संस्कार की तैयारी चल रही है। हालांकि अभी उनके पार्थिव शरीर के आने का स्थान तय नहीं हुआ है। झांसी जिले के सदर तहसील स्थित गांव भोजला निवासी शहीद सुल्तान सिंह के पिता हर प्रसाद बेटे की मौत की खबर सुनकर कानपुर रवाना हो गए। बेटा सुल्तान बचपन से ही तहसील व कस्बा मऊरानीपुर के चैक दमेला स्थित अपनी ननिहाल के इसी घर में पला बड़ा है। उसकी शिक्षा-दीक्षा यहीं से हुई है। मां भी यही रहती थी, पिता भी यही रहते थे। कानपुर में अचानक शहीद हुए सुल्तान की खबर जैसे ही यहां आई। घर में मातम पसर गया। सुल्तान का ख्वाब था कि उसकी बेटी चेरी एक बहुत बड़ी डॉक्टर बने। सुल्तान के ममेरे भाई अशोक ने बताया कि सुल्तान तीन भाई थे। बब्लू सबसे बड़े भाई हैं। जो भोजला में आटा चक्की चलाते हैं। उनसे छोटे सुल्तान थे। और सबसे छोटे भाई सोनू थे। जिसकी पांच वर्ष पहले मौत हो गई थी। सुल्तान की नौकरी आठ वर्ष पूर्व मऊरानीपुर में अपने ननिहाल में रहते हुए ही लगी थी। सुल्तान की पहली पोस्टिंग जालौन के उरई थाने में थी। सुल्तान अपने पीछे पत्नी ऊर्मिला वर्मा व सात वर्ष की मासूम बेटी चेरी को अपने पीछे छोड़ गए हैं। हिन्दुस्थान समाचार/महेश-hindusthansamachar.in

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