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ईद की नमाज से पहले नफिले पढ़ना जायज नहीं : मुफ्ती इकबाल अहमद कासमी

- ख्वातीन पर ईद व जुमे की नमाज ईदगाहों व मस्जिदों में पढ़ना वाजिब नहीं कानपुर, 13 मई (हि.स.)। रमजान माह के 30 रोजे रब के फजल से गुरुवार को मुकम्मल हो गए है। हमसे रोजे व इबादत करने में जो भी कमी व कोताही हुई हो अल्लाह अपने फजल से हम सबको माफ फरमा दे। वैश्विक महामारी कोरोना को देखते हुए पिछले साल की तरह इस साल भी ईदगाह व मस्जिदों में ईद की नमाज न अदा करते हुए हम सबको अपने घरों में रहकर ही नमाज के जरिए अल्लाह का शुक्र अदा करना होगा। हुकूमत की जारी की गई गाइड लाइन का पालन करना होगा। यह बातें गुरुवार को अल शरिया हेल्पलाइन के अध्यक्ष मुफ्ती इकबाल अहमद कासमी ने कही। उन्होंने बताया कि जैसे हम लोगों ने रमजान महीने का एहतेराम करते हुए पूरे रोजे व इबादत की और अल्लाह के बताए हुए तरीके पर जिन्दगी गुजारने की कोशिश की। इसी तरह से हमें आम दिनों में भी रहना है। हमारे अंदर पूरे महीने रब की इबादत करने से जो तकवा आया है। उसे हमे बरकरार रखना है। हमें गुनाहों से बचकर जिन्दगी गुजारनी है। कुल हिन्द इस्लामिक इल्मी अकादमी कानपुर की अल-शरिया हेल्पलाइन से पूछे गए प्रश्नों के उत्तर। प्रश्न:- लाकडाउन की वजह से इस मर्तबा लोग ईद की नमाज लोग घरों में अदा करेंगे तो इसमें ख्वातीन (महिलाएं) इसमें शरीक हो सकती हैं या नहीं ? उत्तर:- औरतों पर नमाज-ए-जुमा और ईदैन वाजिब नहीं है और आम हालात में उन्हें ईदगाहों और मस्जिदों में जाकर नमाज-ए-ईद में शरीक होना भी मकरूह है और सख्त गुनाह का कारण है। अलबत्ता हरमैन शरीफैन या किसी ऐसी जगह जहां फित्ने से मुकम्मल हिफाजत हो। (जैसे कि सवाल में घरों का जिक्र है इसमें औरतें शरीक हों तो जायज है)। प्रश्न:- ईद तक सदका-ए-फितर निकाल दिया मगर कोई लेने वाला या देने वाला नहीं मिला तो क्या करें ? उत्तर:- आपने अपना और घरवालों का सदका-ए-फितर निकाल दिया और कोई मसरफ (पात्र) नहीं मिला तो सदका-ए-फितर अदा हो गया जब ईद के बाद मसरफ (पात्र) मिलेंगे तो खर्च कर देने में कोई हर्ज नहीं। प्रश्न:- नमाज-ए-ईद से पूर्व नफिलें पढ़ना कैसा है? उत्तर:-नमाज ईद से पूर्व ईदगाह में नफिलें पढ़ना जायज नहीं और इसी तरह घर में भी। प्रश्न:- शव्वाल के छह रोजों का क्या हुक्म है? उत्तर:- ईद के बाद शव्वाल के महीने में छह रोजे रखने का सवाब बहुत है, अगर कोई शख्स रमजान का रोजा रखे, फिर ईद के बाद छह रोजे रखे तो उसको एक साल के रोजों के बराबर सवाब मिलता है। हिन्दुस्थान समाचार/महमूद

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