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पड़ताल : तीन डाक्टरों पर डेढ़ लाख बच्चों के इलाज जिम्मा

-नहीं है बच्चों के लिए कोई चिल्ड्रन अस्पताल -बाल पुष्टाहार के आंकड़ें में 0 से 6 साल के बच्चों की संख्या 1 लाख, 30 हज़ार से अधिक कौशाम्बी, 22 मई (हि.स.)। कोरोना महामारी में दूसरी लहर की त्रासदी झेलने के बाद भी सिस्टम की आंखें नहीं खुल रही है। तीसरी लहर के संभावित खतरे को देखते हुए जनपद के अफसर कागजी घोड़े दौड़ा कर इलाज का ढपोरशंख बजाने की तैयारी कर रहे हैं। जमीनी हकीकत में जिले में बच्चों के इलाज के नाम पर कोई भी अलग से चिल्ड्रन हॉस्पिटल नहीं है। संयुक्त जिला अस्पताल में तैनात तीन पीडियाट्रिक डॉक्टर के भरोसे डेढ़ लाख बच्चों के इलाज की व्यवस्था की गई है। हालांकि सीएमओ डॉ. पीएन चतुर्वेदी का कहना है कि उन्होंने इस बाबत जिलाधिकारी को जानकारी प्रेषित कर दी है। कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों पर मंडरा रहे संभावित खतरे को देखकर प्रशासनिक अमले ने कमर कसनी शुरू दी है। मीटिंग दर मीटिंग का दौर जारी है। ताज़ा बैठक करते हुए नोडल अफसर सुधीर बोबडे ने निजी अस्पताल में इलाज की व्यवस्था ऑक्सीजन की उपलब्धता की जानकारी इकठ्ठा की। बैठक में इलाज के समुचित व्यवस्था को भी दुरुस्त रखने की हिदायत दी गई। तीसरी लहर के संभावित खतरे के मद्देनज़र डाक्टरों को एलर्ट रहने की सलाह दी गई। बाल विकास पुष्टाहार विभाग में दर्ज आकड़ों पर गौर करे जनपद में एक लाख, 30 हज़ार बच्चे 0 से 6 वर्ष के है। जिनके समुचित इलाज के लिए संयुक्त जिला अस्पताल में तीन बाल रोग विशेषज्ञ डाक्टर की मौजूद है। बच्चो के लिए जिले में अब तक चिल्ड्रन अस्पताल की कोई व्यवस्था नहीं हो सकी है। सीएमएस डॉ दीपक सेठ के मुताबिक उन्हें निर्देश मिला है कि तीसरी लहर के खतरे के तहत बच्चो के लिए 50 बेड वार्ड तैयार किया जाय। जिस पर उन्होंने काम शुरू कर दिया है। जिलाधिकारी अमित कुमार सिंह ने बताया, तीसरी लहर के संभावित खतरे के मद्देनज़र वह तैयारी में जुटे है। इलाज की समुचित व्यवस्था के लिए गांव गांव पीएचसी व सीएचसी को जरुरी उपकरणों व दवाओं उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाएगी। बच्चों की संख्या के अनुरूप डाक्टरों की संख्या पर शासन से पत्रचार किया जा रहा है। हिन्दुस्थान समाचार/अजय कुमार

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