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प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जल का सैम्पल लेकर गुणवत्ता की जांच रिपोर्ट पेश करने का निर्देश

- राज्य सरकार से पालीथीन बैन की अधिसूचना मांगी प्रयागराज, 23 जनवरी (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को प्रयागराज में माघ मेला क्षेत्र में तीन अलग स्थानों से गंगा-यमुना का जल लेकर उसकी जांच कराकर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने पूछा है कि गंगा का पानी पीने लायक है या नहीं। यदि नहीं तो इसके लिए जरूरी कदम उठाये जाय। साथ ही गंगा यमुना में लगातार पानी का बहाव बरकरार रखा जाय। कोर्ट ने राज्य सरकार से मेला क्षेत्र के दो किमी क्षेत्र में पालीथिन-प्लास्टिक प्रयोग पर प्रतिबंध लगाने की जारी अधिसूचना पेश करने को कहा है और जिलाधिकारी प्रयागराज से सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थिति पर रिपोर्ट मांगी है। साथ ही जल प्रवाह बनाये रखते हुए डाटा पेश करने को कहा है। कोर्ट ने नगर आयुक्त से गंगा-यमुना में सीधे गिरने वाले नालों की व्यक्तिगत हलफनामे के जरिए रिपोर्ट मांगी है और मेले मे पालीथिन प्रयोग पर भी रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। याचिका की अगली सुनवाई 28 जनवरी को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति एम के गुप्ता, न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा तथा न्यायमूर्ति अजित कुमार की पूर्णपीठ ने गंगा प्रदूषण मामले की सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट में कहा गया कि गंगा-यमुना मे गंदे नाले बिना शोधित गिर रहे हैं। जिससे पानी पीने को कौन कहे नहाने लायक नहीं है। गंगा जल में कालापन है। कल्पवासी व साधु-संत गंगा स्नान करते हैं व जल पीते हैं। उन्हें आर ओ का पानी पीना पड़ रहा है। यह भी कहा गया कि एसटीपी ठीक से काम नहीं कर रही है। बिना शोधित पानी गंगा यमुना में जा रहा है। साथ ही मेले में पालीथीन से फैल रहे प्रदूषण की तरफ कोर्ट का ध्यान खींचा गया। बताया गया कि 2010 में कोर्ट ने गंगा किनारे स्थित सभी शहरो में दो किमी तक पालीथीन उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है। जिसका अधिकारी पालन नहीं कर रहे हैं। हिन्दुस्थान समाचार/आरएन-hindusthansamachar.in

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