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भारतीय सेना दिव्यांग बच्चों को समग्र शिक्षा के जरिये बना रही आत्मनिर्भर

प्रयागराज, 16 अप्रैल (हि.स.)। भारतीय सेना दिव्यांग बच्चों को समग्र शिक्षा के जरिये आत्मनिर्भर बना रही है। इस विद्यालय में बच्चों को समग्र शिक्षा उपलब्ध करा उन्हें आत्मनिर्भर बनाकर समाज की मुख्यधारा में जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। बच्चों को घोड़ा दौड़ाने का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। स्कूल प्रबंधन के प्रयासों से छात्रों में गुणात्मक सुधार भी हो रहा है। गौरतलब है कि भारतीय सेना के रेड ईगल डिवीजन के तत्वावधान में विशेष रूप से विकलांग बच्चों के लिए 07 अक्टूबर 1992 से ओल्ड कैंट, तेलियरगंज, प्रयागराज में एक आशा स्कूल संचालित किया जा रहा है। जो पूरी तरह से वातानुकूलित है और इसमें कला प्रशिक्षण की सुविधा है। रक्षा मंत्रालय प्रयागराज के विंग कमांडर शैलेन्द्र पाण्डेय ने बताया कि इसमें सभी मौसम में इनडोर हाइड्रोथेरेपी काम्प्लेक्स भी शामिल है। पूरी तरह से सुसज्जित फिजियोथेरेपी कक्ष, दो समार्ट क्लास, सेंसोरी पार्क, बेसिक शॉपिंग और मनी हैंडलिंग पर एक प्रायोगिक प्रशिक्षण तथा एक समर्पित दैनिक जीवन के प्रशिक्षण की सुविधा के लिए एक आशा मार्केट भी है। स्कूल में विशेष शिक्षकों, फिजियोथेरेपिस्ट, स्पीच थेरेपिस्ट, मनोवैज्ञानिक और एक संगीत शिक्षक सहित योग्य कर्मचारी हैं। इसमें विशेष रूप से प्रशिक्षित सहायक कर्मचारी भी हैं। इसके अलावा उपलब्ध कराए जा रहे विभिन्न उपचारों में हाइड्रोथेरेपी, फिजियोथेरेपी, स्पीच थेरेपी, अश्वनीय थेरेपी, केनाइन थेरेपी और वोकेशनल तथा सेंसर प्रशिक्षण शामिल हैं। श्री पाण्डेय ने बताया कि स्कूल में 27 बच्चों की क्षमता है और वर्तमान में 21 बच्चों का नामांकन है। सेवा और सेवानिवृत रक्षाकर्मियों तथा सिविलियन के विशेष रूप से विकलांग बच्चों को स्कूल में प्रवेश दिया जाता है। जिसके लिए स्कूल नाममात्र का शुल्क चार्ज करता है। 8 से 18 वर्ष की आयु के लिए विशेष रूप से विकलांग बच्चे, सीएमओ प्रयागराज द्वारा हस्ताक्षरित विकलांग प्रमाण-पत्र के साथ साल में कभी भी प्रवेश लेने के लिए पात्र हैं। हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त

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