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लॉकडाउन में आरएसएस के स्वयंसेवकों ने किसी प्रवासी मजदूर को भूखा नहीं सोने दिया - योगी आदित्यनाथ

- कहा, किसी की जाति, मत, मजहब, संप्रदाय, भाषा, क्षेत्र पूछे बिना किया सेवा कार्य लखनऊ, 26 फरवरी (हि.स.)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोरोना संक्रमण काल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सेवा भाव से किये कार्यों को सराहना करते हुए कहा कि लॉकडाउन के दौरान जब प्रवासी मजदूर उत्तर प्रदेश में आए और यहां से गुजरे, उस वक्त संघ के स्वयंसेवकों ने किसी को भूखा नहीं सोने दिया, प्यासा नहीं रहने दिया। उन्होंने ये सेवा कार्य किसी की जाति, मत, मजहब, संप्रदाय, भाषा, क्षेत्र पूछे बिना किया। मुख्यमंत्री राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर द्वारा लिखी पुस्तक 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ-स्वर्णिम भारत के दिशा सूत्र' के लोकार्पण कार्यक्रम में शुक्रवार को गोमती नगर स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में बोल रहे थे। उन्होंने सुनील आंबेकर जी को बधाई देते हुए कहा की यह केवल एक पुस्तक नहीं है यह एक दृष्टि भी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की जब हम बात करते हैं, तो 1925 से काम कर रहा यह एक ऐसा संगठन है, जिसने बिना किसी सरकारी सहयोग के जीवन के हर उस क्षेत्र को छुआ है जो भारतीय दृष्टिकोण को परिपुष्ट करता है। संघ ने अपना कुछ भी कहीं थोपने का प्रयास नहीं किया है। जो भारतीय दृष्टि है, वही मेरी दृष्टि होगी। लेकिन, इस दृष्टि को भारतीय परिप्रेक्ष्य में ही देखने का प्रयास करो, यह एक आग्रह जरूर संघ का रहा है। उन्होंने कहा कि और संघ का यह आग्रह हर एक पक्ष को बरबस अपनी ओर आकर्षित करता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यही कारण है कि पुस्तक में सुनील आंबेकर जी लिखते हैं कि उनके मन में एक विचार आता है कि देश 2047 में जब अपने शताब्दी महोत्सव को मनाएगा तो आजादी के 100 वर्ष के उपलक्ष में उस समय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रासंगिकता के प्रश्न आएंगे। उसके बारे में वह कहते हैं कि उस समय तक संघ की स्थिति उसी तरह होगी जैसे दूध और शक्कर का परस्पर मिलन होता है। दोनों समरस हो जाते हैं लोगों को उसका एहसास कराते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि यही एहसास संघ बीते 96 वर्षों से भारतीय जनमानस को कराता रहा है और दुनिया के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरी दुनिया के अंदर हम लोगों ने अनेक अवसरों पर देखा है, इसे महसूस किया है। मुख्यमंत्री ने कोरोना संक्रमण काल का जिक्र करते हुए कहा कि 25 मार्च, 2020 को पूरे देश के अंदर लॉकडाउन प्रारंभ हुआ। किसी को नहीं पता था कि आगे कैसे कार्यक्रमों को बढ़ाना है, क्योंकि कोरोना के मामले अचानक बढ़ते गए। जब एक व्यक्ति कोरोना संक्रमित पाया जाता था, तो वह चौबीस घंटे में अपने सम्पर्क में आए कम से कम 120 लोगों को संक्रमित करने की क्षमता रखता था। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन परिस्थितियों में प्रशासनिक मशीनरी को सम्बल देने के लिए कोई एक संगठन सबसे पहले सामने आया, जिसके स्वयंसेवक डोर स्टेप डिलीवरी और फूड पैकेट के कार्य के साथ जुड़े, तो वह नाम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ था। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश की आबादी 24 करोड़ है। लेकिन, संक्रमण काल में एक करोड़ प्रवासी कामगार उत्तर प्रदेश में रहने के लिए या उत्तर प्रदेश से होते हुए गए। इनमें 40 लाख उत्तर प्रदेश के थे और शेष 60 लाख में बिहार, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, उत्तर-पूर्व आदि जाने वाले लोग थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि हो सकता है कि राज्य सरकारों ने उपेक्षा की होगी। लेकिन, संघ ने अपने स्तर पर किसी व्यक्ति को भूखे नहीं सोने नहीं दिया। किसी को प्यासा नहीं रहने दिया और आवश्यकता पड़ने पर उन लोगों के पैरों को गर्म पानी से धोने, चप्पल तक पहनाने का कार्य किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि सेवा का इतना बड़ा कार्य प्रशासनिक मशीनरी को संबल देने के रूप में हुआ। इसमें संघ ने किसी की जाति, मत, मजहब, संप्रदाय, भाषा, क्षेत्र कुछ भी नहीं पूछा। उन्होंने कहा कि यही सोच रही कि हमें अपना कार्य करना है, दायित्व निर्वहन करना है, मेरा एक ही धर्म है और वह राष्ट्र धर्म है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना के खिलाफ देश की लड़ाई को विजय की मुद्रा में आगे पहुंचाने की सोच के साथ संघ ने कार्य किया और उसका परिणाम था कि प्रवासी कामगार अपने गंतव्य तक सुरक्षित पहुंचे। उन्होंने कहा कि अगर संघ को समझना है तो इस सेवा की दृष्टि को समझने का प्रयास करना होगा। उन्होंने संक्रमण काल के दौरान आए प्रवासी कामगारों, श्रमिकों में बहुत लोगों ने स्वयं संघ का नाम भी नहीं सुना होगा। उन लोगों ने संघ की शाखाओं को दूर से देखा होगा और वह प्रत्यक्ष रूप से उससे नहीं जुड़े होंगे। लेकिन, जब संघ का प्रचारक, स्वयंसेवक उन लोगों की सेवा के साथ जुड़ा रहा, उनको सुरक्षित गंतव्य तक पहुंचाने के लिए स्वयं की चिंता के बगैर लगा रहा, तो वह दृश्य संघ का समझने का एक नया बोध, एक नई दृष्टि हर एक व्यक्ति को देता है और यही भारत की दृष्टि रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय मनीषा में 'एकं सद्विप्रा बहुधा वदन्ति' कहा गया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इसी दृष्टि को भारतीय जनमानस के अंदर पैदा कर रहा है। यह पुस्तक वास्तव में संघ के इसी स्वर्णिम दिशा सूत्र को आगे बढ़ाती है। उन्होंने कहा कि 5000 वर्ष पहले महर्षि वेदव्यास ने महाभारत महाकाव्य की रचना की। उसके बारे में कहा कि धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष जो चार मानवीय पुरुषार्थ हैं, इनसे सम्बन्धित जो कुछ भी इस ग्रंथ में है, वही दुनिया के अंदर मौजूद है। हम भी इस बात को कह सकते हैं कि धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष जो चार मानवीय पुरुषार्थ हैं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने 96 वर्षों की अपनी यात्रा में इन चारों पुरुषार्थों के क्षेत्र में अनुपम और अतुलनीय कार्य किया है, यह संघ की पहचान है। हिन्दुस्थान समाचार/संजय

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