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भारत के इतिहास में योगेश्वर श्रीकृष्ण जैसा कोई गृहस्थ,नीतिज्ञ योगी नहीं हुआ है : डा. मोक्षराज

-अमेरिका स्थित भारतीय दूतावास में नियुक्त रहे प्रथम सांस्कृतिक राजनयिक डॉ. मोक्षराज ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि के किए दर्शन - कहा-पूर्वजों के इतिहास की रक्षा हमारा दायित्व, हमें मानवता एवं प्रकृति के शत्रुओं के समूल नाश के लिए श्रीकृष्ण के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए मथुरा, 24 जनवरी (हि.स.)। अमेरिका स्थित भारतीय दूतावास में नियुक्त रहे प्रथम सांस्कृतिक राजनयिक डा. मोक्षराज ने भारतीय संस्कृति का अमेरिका में डंका बजा रखा है। हाल ही श्रीमोक्षराज श्रीकृष्ण की नगरी में पहुंचे और यहां उन्होंने सांस्कृतिक भ्रमण किया। उन्होंने श्रीकृष्ण जन्मभूमि, गोकुल, स्वामी विरजानंद दंडी की कुटिया एवं यमुनाजी तथा नंदबाबा मंदिर के दर्शन किए। उनका कहना था कि भारत के इतिहास में योगेश्वर श्री कृष्णचंद्र जी महाराज जैसा कोई गृहस्थ योगी तथा नीतिज्ञ नहीं हुआ है। भारत प्रवास के दौरान श्रीकृष्ण की नगरी पहुंचे डा. मोक्षराज ने यहां श्रीकृष्ण जन्मभूमि में भागवत भवन एवं संस्थान के सचिव कपिल शर्मा एवं हिन्दूवादी नेता गोपेश्वरनाथ चतुर्वेदी से विद्वानों के बारे में चर्चा की। इस दौरान वह गोकुल कस्बे पहुंचे जहां उन्होंने ग्रामीणों से चर्चा की। उन्होंने यमुना के विश्रामघाट के प्रचीनतम आरती स्थल का अवलोकन किया। उन्होंने 1857 की क्रांति के प्रमुख रणनीतिकार एवं समग्र क्रांति के अग्रदूत महर्षि दयानंद सरस्वती के गुरु प्रज्ञाचक्षु स्वामी विरजानंद दण्डी के छत्ता बाजार स्थित स्मारक का भी अवलोकन किया। भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद शर्मा ने 25 दिसम्बर 1959 को इस ऐतिहासिक स्मारक का शिलान्यास किया था तथा 1975 में उप राष्ट्रपति श्री बंदाजत्ती द्वारा इस चार मंज़िला भवन का उद्घाटन किया गया। डॉ. मोक्षराज के इस प्रवास में मथुरा व भरतपुर क्षेत्र के रघुवीर सिंह, रवि चौधरी, बीना आर्या एवं गीता चौधरी भी साथ थे। डा. मोक्षराज ने ‘हिन्दुस्थान समाचार एजेंसी’ को बताया कि हमें मानवता एवं प्रकृति के शत्रुओं के समूल नाश के लिए श्रीकृष्ण जी के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। पूरा विश्व श्री कृष्णचंद्र जी महाराज के योग, तप, ध्यान, प्रकृति-प्रेम एवं गोधन-प्रेम के साथ-साथ गीता के उपदेश पर मोहित है। ऐसे महान पूर्वज की संतान होने में हम गर्व अनुभव करते हैं। हमें अपने पूर्वजों के इतिहास तथा उनसे सम्बद्ध धरोहरों के संरक्षण हेतु दूरगामी नीति बनानी चाहिए। डॉ. मोक्षराज ने बताया कि उन्होंने स्थानीय विद्वानों और भारतीय संस्कृति के शिक्षकों से प्रमुख स्थलों के बारे में विशेष चर्चा की है। उन्होंने बताया कि अमेरिका में अनेक लोगों को संपूर्ण गीता कंठस्थ है तथा वहां कई विश्वविद्यालयों में महाभारत भी पढ़ाया जाता है। उल्लेखनीय है कि अमेरिका स्थित भारतीय दूतावास में नियुक्त रहे प्रथम सांस्कृतिक राजनयिक डॉ. मोक्षराज ने अमेरिका में भारतीय संस्कृति से वहां के लोगों को अवगत कराया है। उन्होंने अमेरिका के विद्यालयों का भी अवलोकन किया जहां संपूर्ण भागवत गीता का पाठ पढ़ाया जाता है। हिन्दुस्थान समाचार/महेश-hindusthansamachar.in

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