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15वीं शताब्दी में राजसत्ता ने धर्म-परिवर्तन करने पर किया विवश - डाॅ नीलकंठ तिवारी

- सेवाज्ञ संस्थानम् के उत्तिष्ठ भारत संगोष्ठी में जुटे युवा और संत, संस्था की वेबसाइट लोकार्पित वाराणसी, 12 फरवरी (हि.स.)। 15वीं शताब्दी में राजसत्ता ने धर्म-परिवर्तन व संस्कृति त्यागने के लिए जबरन प्रयास किया। इसके विरोध में गोस्वामी तुलसीदास जैसे संत खड़े हो गये और गली-गली में रामलीला का आयोजन किया। जेल में बंद लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने गीता रहस्य नामक पुस्तक लिख दिया। आजादी के बाद राष्ट्र किधर जाए, इस पर राजसत्ता कभी चिंता ही नहीं हुई। सभी रूस, चीन, अमेरिका आदि की तरफ देखने लगे, किसी ने भारतीय-मनीषा की तरफ ध्यान नहीं दिया। ये उद्गार प्रदेश केे धर्मार्थ कार्य, संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. नीलकंठ तिवारी के हैं। राज्यमंत्री शुक्रवार को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित शताब्दी कृषि प्रेक्षागृह में सामाजिक संस्था सेवाज्ञ संस्थानम् के बैनर तले आयोजित उत्तिष्ठ भारत थीम पर आधारित ‘वैश्विक संदर्भ में व्यक्ति निर्माण तथा भारतीय चिंतन‘ विषयक एक दिवसीय संगोष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे। राज्यमंत्री ने संगोष्ठी का उद्घाटन विश्वविद्यालय के संस्थापक भारतरत्न महामना मदनमोहन मालवीय के चित्र पर पुष्पांजलि व दीप प्रज्जवलित कर किया। इस दौरान संस्था के वेबसाइट का लोकार्पण कर राज्यमंत्री ने भारत की ज्ञान परम्पराओं का उल्लेख भी किया। उन्होंने कहा कि परंपराओं, साहित्य, सांस्कृतिक इतिहास को देखा जाए तो भारत कभी सुसुप्तावस्था में नहीं रहा, हमेशा जागृत रहा। विषम से विषम परिस्थितियों का भारत ने हल निकाला। वैदिक ज्ञान को कुछ पोंगा-पंथियों ने संकुचित करने का जरूर प्रयास किया, लेकिन केरल से निकले 25 साल के एक नौजवान ने पूरे देश में चलकर शास्त्रार्थ किया, भारतीय विचार को स्थापित करने का कार्य किया। जो बाद में चलकर आदि शंकराचार्य कहलाया। राज्यमंत्री ने कहा कि गोरक्षपीठ से भी बहुत से संत निकले, जो पूरे भारत में जाकर भारतीय ज्ञान-परंपरा को स्थापित करने का महत्वपूर्ण कार्य किए। चुनौतियों को झटके में मोदी सरकार ने किया समाप्त संगोष्ठी में राज्यमंत्री ने प्रधानमंत्री के नेतृत्व और केन्द्र सरकार के जन कल्याण कारी कार्यो की जमकर सराहना की। उन्होंने कहा कि तीन-तलाक, धारा-370, भ्रष्टाचार जैसी चुनौतियों को मोदी सरकार ने झटके में समाप्त कर दिया। लंबे समय से प्रतीक्षारत अयोध्या में भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है। वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साहस से काम लिया। उन्होंने कहा कि चीन, पाकिस्तान से आंख मिलाकर लड़ रहे हैं। मोदी-योगी सरकार आत्मनिर्भर भारत को साकार करने में जुटी है। कोविड काल में हमारी सरकार ने 150 देशों को वैक्सीन देने का कार्य किया है। एक देश के प्रमुख ने यहां तक कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने संजीवनी बूटी भेज दिया है। विवेकानंद को युवा आईकन की तरह लेते हैं, कैरेक्टर की तरह नहीं संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता सनातन धर्म के शास्त्रीय पक्ष व उसकी प्रासंगिता के अध्येता मिथिलेशनन्दिनीशरण महाराज ने कहा कि समाज में बड़ी दुविधा है कि युवा विवेकानंद को आईकन की तरह लेते हैं, कैरेक्टर की तरह नहीं। उन्होंने कहा कि विवेकानंद का फाॅलोअर तभी आप हो सकते हैं, जब उनके सामने खड़े होने पर आपका चरित्र दिखने लगे। आदर्श चरित्र आपकी कमियों को दिखाते हैं। उन्होंने बताया कि विवेकानंद सन्यासी नहीं बनना चाहते थे। उनके समक्ष आई चुनौतियां उन्हें रामकृष्ण परमहंस के पास ले गईं। सन्त शरण ने वर्तमान परिवेश का उल्लेखकर कहा कि आज नौकरी न मिले तो सारा ज्ञान व्यर्थ हो जाता है। उन्होंने कहा कि जो भी आप करना चाहते हैं, उसकी तैयारी आपकी क्या है। हम उलझनों से भागते हैं। प्रमाण पत्र के लिए दौड़ रहे हैं। संत ने युवाओं को चुनौतियों से जूझने का संदेश देकर कहा कि हमें चुनौतियों से भागना नहीं चाहिए। यदि आप जीतना चाहते हैं तो इसका अर्थ है कि आसान चुनौती चाह रहे हैं। संगोष्ठी में विशिष्ट अतिथि पद्मश्री से सम्मानित प्रगतिशील किसान चंद्रशेखर सिंह ने युवाओं से जैविक खेती करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि अपने खेतों के कम से कम 10 प्रतिशत हिस्से में जैविक कृषि का प्रयोग करिये। जैविक अनाज से शरीर स्वस्थ रहेगा और बीमारियां भी निकट नहीं आएंगी। चंद्रशेखर सिंह ने अपने संघर्ष का जिक्र कर कहा कि स्वामी विवेकानंद के आचरण का अनुसरण करके ही आज मैं यहां तक पहुंचा हूं। संस्था के सचिव आकाश मिश्रा ने अतिथियों का स्वागत किया और बताया कि सेवाज्ञ समाज जीवन के सर्वज्ञ सेवा क्षेत्र में कार्य करने वाला संगठन है। संस्था का मुख्य उद्देश्य भारत का उत्कर्ष है। संगोष्ठी में शहर के विभिन्न संस्थानों से जुड़े युवाओं और विद्यार्थियों ने सहभागिता की। इस मौके पर सभी ने स्वामी विवेकानन्द के विचारों पर चलने का संकल्प लिया। कार्यक्रम का संचालन तरूण प्रताप सिंह व शांभवी ने किया। हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर-hindusthansamachar.in

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