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एचओजी तकनीक से ट्रेनों में डीजल की होगी बचत, यात्रियों को मिलेंगी अतिरिक्त सीटें

लखनऊ, 07 अप्रैल (हि.स.)। पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन अब एलएचबी (लिंके हॉफमैन बुश) कोच वाली करीब 10 और ट्रेनों में हेड ऑन जेनरेशन (एचओजी) तकनीक का प्रयोग करने जा रहा है। इस तकनीक से ट्रेनों में डीजल की बचत होगी और यात्रियों को अतिरिक्त सीटें मिलेंगी। फिलहाल अभी प्रयोग के तौर पर तीन ट्रेनों में इसका उपयोग किया जा रहा है। रेल परिवहन के लिए एचओजी प्रणाली एक नई पहल है। अभी गोरखपुर से चलने वाली शालीमार एक्सप्रेस, गोरखपुर-लखनऊ इंटरसिटी एक्सप्रेस, गोरखपुर-यशवंतपुर एक्सप्रेस के सभी कोचों में प्रयोग के तौर पर बिजली की सप्लाई इसी तकनीक से की जा रही है। इससे रेलवे को डीजल के रूप में सालाना करोड़ों रुपये की बचत होगी। गोरखपुर होकर जाने वाली दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की ट्रेन दुर्ग-नौतनवां एक्सप्रेस में भी एचओजी तकनीक का इस्तेमाल किया जाने लगा है। एचओजी तकनीक में बिजली आपूर्ति के लिए जेनरेटर कारों में डीजल ईंधन को जलाने के बजाय ओवर हेड उपकरण (ओएचई) के माध्यम से सीधे ग्रिड से बिजली लेकर कोच में सप्लाई की जाती है। पावरकार में एक घंटे में 60 लीटर डीजल जल जाता है। इससे पर्यावरण भी प्रदूषित होता है। एचओजी तकनीक में महंगे डीजल की बचत होगी और प्रदूषण भी कम होगा। क्या है एचओजी तकनीक एचओजी तकनीक में रेल इंजन से सीधे इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन पावर केबल का उपयोग करके प्रकाश और वातानुकूलन के लिए कोचों में विद्युत आपूर्ति की जाती है। एलएचबी आधारित ट्रेनों के कोचों के लिए विद्युत उत्पादन के सबसे आम तरीके को हेड ऑन जेनरेशन कहा जाता है। एचओजी तकनीक में एक पावरकार के हटने से यात्रियों को मिलेंगी अतिरिक्त सीटें एचओजी तकनीक में बिजली की सप्लाई इंजन से होने से दो में से एक पावरकार हटेगी। एक पावरकार के हटने से आधे कोच में यात्रियों के लिए सीटें लगाई जाएंगी और आधे कोच में लगेज रखने की व्यवस्था की जाएगी। इससे यात्रियों को अतिरिक्त सीटें उपलब्ध हो जाएंगी। जनसंपर्क अधिकारी ने कहा पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार ने बुधवार को बताया कि एलएचबी कोच वाली ट्रेनों को हेड ऑन जेनरेशन तकनीक से युक्त किया जा रहा है। एचओजी तकनीक से डीजल की बचत होगी और यात्रियों को अतिरिक्त सीटें उपलब्ध होगी। उन्होंने बताया कि अभी तीन ट्रेनों में प्रयोग के तौर पर एचओजी तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। पूर्वोत्तर रेलवे की करीब 10 और ट्रेनों में एचओजी प्रणाली लगाने की तैयारी चल रही है। हिन्दुस्थान समाचार/ दीपक

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