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100 साल से भी ज्यादा पुराना है मास्क का इतिहास — डॉ. एपी राय..

— श्वसन तंत्र संबंधी हर बीमारियों को फैलने से रोकता है मास्क कानपुर, 14 फरवरी (हि.स.)। मास्क का उपयोग किया जाए या नही और किस परिस्थिति में किया जाए, यह पिछले एक साल से सबसे बड़ी सार्वजनिक चर्चा और राजनीतिक बहस का विषय है। कोविड के आते ही मास्क एक नए चलन के रूप में विकसित हुआ। लेकिन मास्क का इतिहास आज का नहीं बल्कि 100 साल से भी ज्यादा पुराना है। यह बात जिला क्षयरोग अधिकारी डॉ. एपी राय ने कही। उन्होंने बताया कि इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईजेएमआर) में प्रकाशित हुए संस्करण 'फेस मास्क - कोविड-19 के खिलाफ भारत की लड़ाई में एक जरूरी हथियार’ में बताया गया है कि मास्क का प्रयोग सबसे पहले वर्ष 1910-11 के बीच चीन में फैले प्लेग महामारी के दौरान हुआ था। इस महामारी के दौरान बीमारी से बचाव में जुटी टीम ने अनुभव किया कि इस बीमारी का प्रसार हवा के माध्यम से हो सकता है और इसलिए मरीजों को क्वारंटाइन करने के अलावा लोगों को पतले कपड़े या पट्टी से बने मास्क (गौज मास्क) पहनने की सलाह दी गई। वर्तमान समय में मास्क को बस कोविड से जोड़कर देखा जा रहा है, जबकि मास्क न सिर्फ कोविड बल्कि श्वसन तंत्र से संबन्धित उन सभी बीमारियों को फैलने से रोकता है, जो खांसने या छीकने के जरिये निकले ड्रोपलेट्स से फैलती है। जिला क्षयरोग अधिकारी डॉ. एपी राय बताते हैं कि अक्सर टीबी के मरीजों को हम खांसते वक्त मुंह पर कपड़ा रखकर खांसने की सलाह देते है, जबकि यदि टीबी से संक्रमित मरीज मास्क का प्रयोग करने लगे तो टीबी के प्रसार को कई हद तक रोका जा सकता है। आईजेएमआर में प्रकाशित हुए संस्करण में कहा गया है कि मास्क संक्रमित बूंदों के प्रसार को रोकने का बेहद सस्ता और आसान तरीका है। और खासकर यह भीड़-भाड़ वाली जगहों के लिए काफी प्रभावी हैं। मास्क के प्रकार आमतौर पर बाजार में तीन प्रकार के मास्क उपलब्ध हैं: (i) कोविड-19 – कपड़े के मास्क, (ii) मेडिकल मास्क और (iii) रेस्पिरेटर मास्क (एन95 और एन99)। विश्व स्वास्थ्य संगठन आम लोगों को कपड़े के मास्क जबकि कोविड-19 उपचारधीनों, उच्च जोखिम वर्ग के लोगों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को मेडिकल या रेस्पिरेटर मास्क पहनने की सलाह देता है। कपड़े के मास्क मोटे कणों को सांस के साथ बाहर जाने से रोकते हैं और छोटे कणों के प्रसार को भी सीमित करते हैं। कई परतों वाला कपड़े का मास्क सांस से निकलने वाले कणों को 50 से 70 प्रतिशत तक फिल्टर कर लेता है। कपड़े के मास्क की प्रभावशीलता विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है जैसे कि कपड़े का प्रकार, परतों की संख्या और मास्क का चेहरे पर फिट। मोटे कपड़े से बना कम से कम तीन परतों वाला कपड़े का मास्क पहनना सबसे उपयुक्त माना गया है। हिन्दुस्थान समाचार/महमूद-hindusthansamachar.in

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