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हरिपदी गंगा में जल रोके जाने का मामला : नहीं थम रहा पुरोहितों का आक्रोश

कासगंज, 23 मार्च (हि.स.)। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी शूकर क्षेत्र सोरों में स्थित हरि पदी गंगा में इन दिनों पानी कम हो जाने से पालिका एवं पुरुषों के बीच गतिरोध उत्पन्न हो गया है। तीर्थ पुरोहितों का आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा है। पालिका अध्यक्ष को ज्ञापन सौंपकर तीर्थ पुरोहितों ने गंगा में पानी छोड़े जाने की मांग उठाई थी जो अभी पूरी नहीं हुई है। पुरोहितों ने आंदोलन की चेतावनी दी है। पश्चिमी प्रदेश की पौराणिक धार्मिक स्थली शूकर क्षेत्र सोरों में स्थित हरिपदी गंगा में काफी दिनों से पानी नहीं छोड़ा गया है। जिससे गंगा में पानी का अभाव है। पर्याप्त मात्रा में गंगा में जल ना होने से मछलियां मर रही है। जिसे लेकर तीर्थ पुरोहितों में आक्रोश पनप गया है। बीते कई दिन पूर्व तीर्थ पुरोहित गंगा घाट पर प्रदर्शन कर रहे हैं। जानकारी जिला प्रशासन को भी दी गई है। तीर्थ पुरोहितों ने एकत्रित होकर पालिकाध्यक्ष मुन्नी देवी को मांग पत्र सौंपा था। इसके माध्यम से गंगा में जल्द ही पानी छोड़े जाने की मांग उठाई थी लेकिन मांग पूरी ना होने की स्थिति में तीर्थ पुरोहितों में आज भी आक्रोश है। सुरेशचंद्र पटियात का कहना है कि गंगा में पर्याप्त जल ना होने से परदेस से आने वाली श्रद्धालुओं को काफी दिक्कतें हो रही हैं। स्नान नहीं कर पा रहे हैं। युवा पुरोहित गौरव दीक्षित का कहना है कि पूजा पाठ में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है। घाट पर एवं आसपास लोग नहीं पहुंच रहे हैं। जिससे पुरोहितों को आर्थिक क्षति भी हो रही है। गंगा भक्त समिति के अध्यक्ष सतीश चंद्र भारद्वाज ने कहा है कि गंगा में पानी नहीं होगा तो श्रद्धालुओं की श्रद्धा गंगा के प्रति कम हो जाएगी। पुरोहितों को काफी दिक्कतें होंगी। श्री गंगा सभा के अध्यक्ष कैलाश चंद्र कटारे ने कहा कि यदि नगरपालिका अध्यक्ष ने एक-दो दिन में कार्यवाही नहीं की तो तीर्थ पुरोहित आंदोलन के लिए बाध्य हो जाएंगे। क्या कहती हैं पालिकाध्यक्ष गंगा के किनारे स्थित नागालैंड घाट काफी दिनों से जर्जर अवस्था में है। इसका पुनर्निर्माण कराने के लिए पालिका प्रशासन द्वारा कार्रवाई की जा रही है। इसी के चलते गंगा में पानी नहीं छोड़ा गया है। जिससे मछलियां मर रही है। पालिकाध्यक्ष मुन्नी देवी का कहना है कि घाट का पुनर्निर्माण कराने के लिए पानी रोका गया था, लेकिन आप निर्णय बदल दिया है। केवल सौंदर्यीकरण कराया जाएगा दीवार लगवाने एवं गोमुख बनवाने का कार्य होगा। सौंदर्यीकरण पूरा होते ही गंगा में जल छोड़ा जाएगा। हिन्दुस्थान समाचार/पुष्पेंद्र सोनी

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