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हमीरपुर : गौड़ वंश के प्रतीक गरुड़ ध्वज के साथ जुलूस निकालकर क्षत्रियों ने मनाई होली

- कई गांवों के गौड़ वंश के ठाकुरों ने विजय ध्वज लेकर कुल देवी मंदिर में की पूजा हमीरपुर, 30 मार्च (हि.स.)। कुरारा क्षेत्र में मंगलवार को गौड़ वंश के विजय प्रतीक गरुड़ ध्वज को लेकर एक दर्जन गांवों के क्षत्रियों ने जुलूस निकाला और एक-दुसरे को रंग गुलाल लगाया। सैकड़ों साल पुरानी परम्परा का ये जुलूस शाम तक सड़कों पर बैण्ड-बाजा के साथ भ्रमण करता रहा। कुरारा क्षेत्र के जल्ला, कंडौर, बचरौली, सिकरोढ़ी, हरेटा, भौली सहित एक दर्जन गांवों के गौड़ वंश के जसवंत सिंह, बच्चू सिंह, रज्जन सिंह व अनिल सिंह सहित बड़ी संख्या में क्षत्रियों ने कुरारा कस्बे के पालीवाल मुहल्ले से विजय प्रतीक गरुड़ ध्वज को गाजेबाजे के साथ निकालकर ब्लाक के सामने से होकर लालमन पुलिया से मुख्य बाजार होते हुए झंडा तालाब के पास तक जुलूस निकाला। वहीं, खान देव के ध्वज को लेकर क्षत्रियों ने भगत तालाब तक धूमधाम से जुलूस निकाला। आज दोपहर से शुरू हए ध्वज के साथ क्षत्रियों का जुलूस सड़कों पर शाम तक चलता रहा। इससे पहले गौड़ वंश के विजय प्रतीक ध्वज को यमुना नदी में स्नान कराकर कुल देवी गौरादेवी मंदिर में विधि विधान से पूजा की गई। इसके बाद बैण्ड-बाजा के साथ ध्वज फहराते हुए जुलूस निकाला गया। जुलूस निकालने के दौरान पुलिस बल सुरक्षा के लिहाज से मुस्तैद रहा। गौड़ वंश के धर्मपाल सिंह गौड़ व डॉ देवेन्द्र सिंह गौड़ ने बताया कि प्राचीन काल में हमीरपुर में राजा हम्मीरदेव का शासन था। किसी राजा ने हम्मीरदेव पर आक्रमण किया था, तब उनकी रक्षा के लिये राजस्थान के राजगढ़ स्टेट से मदद मांगी गई थी। वहां के युवराज सिंहलदेव व बीसलदेव ने अपने सैनिकों के साथ हमीरपुर आकर युद्ध किया था। युद्ध में विजय हासिल करने के बाद राजा हम्मीरदेव ने विजय निशान दोनों योद्धाओं को दिए थे। इसमें सिंघल देव को नगाड़ा और बीसलेदव को गरुड़ ध्वज विजय प्रतीक दिया गया था। ये दोनों गौर वंश के युवराज थे। इसके बाद राजा हम्मीरदेव ने सिंघल देव को बांदा जनपद के पैलानी क्षेत्र के 12 गांव देकर वहां का शासक बनाया था। आज भी होली के बाद दूज को पैलानी में नगाड़ा धूमधाम से निकालकर होली मनाई जाती है। उन्होंने बताया कि दूसरे युवराज बीसलदेव के साथ राजा हम्मीरदेव ने अपनी बेटी रामकुंवर से शादी की थी और उन्हें भी 12 गांव देकर कुम्हऊपुर का शासक बनाया गया था। बीसलदेव की 09 पीढ़ी तक एक संतान ही रही। इसके बाद नयी पीढ़ी में हरिहर देव की 09 संतानें हुईं थी। तब उनको कुरारा, रिठारी, चकौठी, पारा, जल्ला कंडौर तथा अन्य गांव मिले थे। बैजेइस्लामपुर में इनका शासन था। कुरारा के गौड़ वंश शासक वर्ग देव के दो पुत्र थे। एक महल देव तथा दूसरे खान देव थे। अब इन्हीं के वंशज कस्बा में विजय प्रतीक गरुड़ ध्वज को निकालने की परम्परा को आगे बढ़ाए हैं। हिन्दुस्थान समाचार/पंकज

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