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हमीरपुर : पार्टी में गुटबाजी से भाजपा, सपा समर्थित प्रत्याशियों को मिली पराजय

- बागी उम्मीदवारों ने भी जिला पंचायत की सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों की बढ़ाई मुश्किलें हमीरपुर, 05 मई (हि.स.)। जनपद में सम्पन्न हुये त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भाजपा सहित अन्य दलों के समर्थित प्रत्याशियों को अंतर्कलह का शिकार होकर अपनी सीट गंवानी पड़ी है। सपा के जिला अध्यक्ष ने जहां अपने सजातीय को पार्टी समर्थित प्रत्याशी बना कर सीट गवांने का काम किया है। वहीं भाजपा के विधायक गुट सहित पार्टी के एक पूर्व ब्लाक प्रमुख ने भाजपा प्रत्याशी की लुटिया डुबोई है। बताते चलें कि, सिसोलर जिला पंचायत सीट के लिए भाजपा ने पार्टी के वरिष्ठ नेता रामदेव सिंह की पत्नी शांती सिंह को पार्टी समर्थित प्रत्याशी घोषित किया था। जबकि क्षेत्रीय विधायक की मंशा रामदेव सिंह की पत्नी के बजाय धनंजय सिंह की पत्नी ज्योत्सना सिंह को पार्टी समर्थित प्रत्याशी बनाने की थी। लेकिन अंततः रामदेव अपनी पत्नी को भाजपा समर्थित प्रत्याशी बनाने में सफल हुए। यह बात विधायक एवं उनके समर्थकों को नगवार गुजरी और उनके समर्थक मौदहा के एक पूर्व ब्लाक प्रमुख सहित विधायक की टीम ने धनंजय सिंह की पत्नी ज्योत्सना को मैदान में डटा दिया। इधर पूर्व ब्लाक प्रमुख ने इचौली निवासी एक सजातीय ब्राह्मण प्रत्याशी को भी चुनाव मैदान में उतार दिया ताकि भाजपा का वोटबैंक माने जाने वाले ब्राह्मण मतदाताओं को भाजपा से हटाकर सजातीय प्रत्याशीयों की ओर मोड़ा जा सके। हालांकि इन्ही ब्लाक प्रमुख के बड़े भाई ने जिले की अरतरा सीट से भाजपा समर्थित प्रत्याशी बनकर जीत हासिल की है और अध्यक्ष पद की दावेदारी में हैं। लेकिन सिसोलर सीट से भाजपा प्रत्याशी शांती सिंह को बुरी तरह से हराने के लिए इन्होंने सजातीय प्रत्याशी का खुलकर समर्थन किया है। और इसे जिताकर अध्यक्षी के दावेदार अपने भाई के लिए एक सदस्य बना लिया है। इतना ही नहीं विधायक गुट और उनके करीबी पूर्व ब्लाक प्रमुख ने बड़े ही सुनियोजित ढंग से दो ठाकुर तथा एक ब्राह्मण को चुनावी मैदान में पूर्ण समर्थन देकर भाजपा की लुटिया डुबोने का काम किया है। ज्ञात हो कि, भाजपा नेता रामदेव सिंह ने हमीरपुर विधानसभा से टिकट के लिए बीते विधानसभा चुनाव में प्रबल दावेदार की थी जिसके चलते वर्तमान विधायक को टिकट पाने में खासी मशक्कत करनी पड़ी थी तब से विधायक गुट रामदेव सिंह का राजनैतिक भविष्य चौपट करने की ताक में बैठा था और मौका मिलते ही बदला लेने में कामयाब हुआ है। इसी तरह से सिसोलर सीट में दूसरे नम्बर की कांटे की लड़ाई में रही सिसोलर निवासी प्रभा यादव ने समाजवादी पार्टी से समर्थन मांगा था लेकिन पार्टी के जिला अध्यक्ष राजबहादुर पाल ने यादव को हटाकर अपने सजातीय इचौली निवासी विवेक पाल की मां को पार्टी समर्थित प्रत्याशी घोषित किया था जो कि पूरी लड़ाई में कहीं दूर दूर तक नजर नहीं आयी। माना जा रहा है कि यदि प्रभा यादव को समाज वादी पार्टी का समर्थित प्रत्याशी बनाया जाता तो कुछ ही वोटों के अंतर से चुनाव हारी प्रभा यादव शायद समाजवादी पार्टी के खाते में एक सीट जोड़ने का काम जरूर करती। कुल मिलाकर भाजपा और सपा ने टिकट वितरण को लेकर जो अन्तर्कलह दिखाई दी है उसने दोनों ही पार्टीयों के लिए खासा नुकसान पहुंचाने का काम किया है। हिन्दुस्थान समाचार/ पंकज

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