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हमीरपुर : मानसिक विकारों से ग्रसित रोगियों को संबल दे रही डाक्टरों की टीम

- जिला अस्पताल के मन कक्ष की टीम फोन से दे रही सलाह - अन्य राज्यों से भी आते हैं रोगियों के फोन हमीरपुर, 22 मई (हि.स.)। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के कारण नागरिकों के भीतर डर समा गया है। इस डर ने मानसिक विकारों के रोगियों की संख्या में इजाफा किया है। लॉकडाउन की वजह से संक्रमण के मामले घटे हैं, लेकिन अपनों और अपने करीबियों को खो चुके लोगों के मन में अजीब सा डर घर कर गया है। ऐसे पीड़ितों के लिए जनपद के जिला अस्पताल स्थित 'मन कक्ष' रामबाण साबित हो रहा है। यहां गठित टीम मनोवैज्ञानिक तरीके से उन्हें संबल देने काम कर रही है। कई केसों में टीम ने लोगों की समस्याओं को सुनकर उनका समाधान किया है। जिला अस्पताल की साइको थेरिपिस्ट डॉ नीता बताती हैं कि 50 प्रतिशत फोन कॉल ऐसे हैं, जो हर वक्त घर में रहने के कारण डिप्रेशन के शिकार हो गए हैं। लॉकडाउन के चलते व्यापार, नौकरी, बचत, मूलभूत संसाधन आदि खोने के डर से उनमें चिड़चिड़ापन, गुस्सा और नकारात्मक विचार हावी हो रहे हैं। घरेलू विवाद बढ़ रहे हैं। वहीं, उनके विचारों व शैली का प्रभाव बच्चों पर भी देखने को मिल रहा है। उन्होंने बताया कि इससे बचने के लिए समय प्रबंधन बेहद जरूरी है। दिनचर्या की समय सारणी बनाकर उसी के मुताबिक काम करें। जिन कामों से खुशी मिलता है, उन्हें जरूर करें। घर पर इनडोर गेम्स जैसे कैरम, लूडो, बैडमिंटन इत्यादि खेलें। किताब पढ़ें, म्यूजिक सुनें और बच्चों के साथ सहजता से बात करें। डॉ नीता ने बताया कि लॉकडाउन में चिंता, डर, अकेलेपन और अनिश्चितता का माहौल बन गया है और लोग दिन-रात इससे जूझ रहे हैं। सुबह घर की छत पर टहलें। वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए दोस्तों से जुड़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि व्यायाम, प्राणायाम, अनुलोम-विलोम करें। इससे तनाव भी कम होता है। व्यायाम से शरीर से हैपी हार्माेन रिलीज होते हैं, जिसके चलते तनाव कुछ ही पल में गायब हो जाता है। डॉ नीता ने बताया कि घबराहट, मुंह सूखना, नींद न आना यह सब मानसिक विकारों के शुरुआती लक्षण हैं। इन लक्षणों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। किसी को भी ऐसे लक्षण हैं तो वह मो.नं. 9424714634 पर फोन करके परामर्श ले सकता है। हिन्दुस्थान समाचार/पंकज/विद्या कान्त

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