गोरखपुर : इलेक्ट्रिक शवदाह गृह तैयार, बदबू-संक्रमण के खतरे से रहे बेपरवाह
गोरखपुर : इलेक्ट्रिक शवदाह गृह तैयार, बदबू-संक्रमण के खतरे से रहे बेपरवाह

गोरखपुर : इलेक्ट्रिक शवदाह गृह तैयार, बदबू-संक्रमण के खतरे से रहे बेपरवाह

गोरखपुर, 24 जुलाई (हि.स.)। निर्माणाधीन शहीद अशफाक उल्लाह खॉ प्राणी उद्यान गोरखपुर में वन्य-जीव के मृत होने पर उनका सुरक्षित ढंग से निस्तारण करने को इलेक्ट्रिक शवदाह गृह बनाकर तैयार है। अब पशुओं का अंतिम संस्कार करने पर न तो बदबू आएगी और न ही उसके धुंए से होने वाले संक्रमण का खतरा ही रहेगा। शहर के लोग मृत पशुओं से होने वाले संक्रमण और बदबू से होने वाली दिक्कतों से बेपरवाह रह सकेंगे। कोविड-19 काल में इंसीनरेटर कक्ष का निर्माण कर मशीनें स्थापित भी कर दी गई हैं। प्राणी उद्यान में किसी वन्य-जीव के मृत होने पर उसके शरीर के किसी भी अंग और त्वचा का व्यापार भी रुक जाएगा। यही नहीं, इस मशीन से मृत पशुओं का अंतिम संस्कार इको फ्रेंडली ढंग से होगा। राजकीय निर्माण निगम के अवर अभियंता प्रोजेक्ट मैनेजर डीबी सिंह बताते हैं कि इस प्रोजेक्ट पर तकरीबन डेढ़ करोड़ रुपये की धनराशि खर्च हुई है। यह 100 किलो ग्राम क्षमता का इलेक्ट्रिक और 50 किलो ग्राम क्षमता का डीजल जेनरेटर संचालित इंसीनरेटर है। संक्रमण फैलने से रोकने की है तैयारी प्राणी उद्यान में बनाए जा रहे पशु अस्पताल में अलग से एक छोटा 'इंसीनरेटर मेडिकल वेस्ट' निस्तारण के लिए लगाया जाएगा। यह मृत पशुओं की वजह से फैलने वाले किसी भी संक्रमण को रोकेगा। इतना ही नहीं, काफी ऊंचाई वाली चिमनी की वजह से जानवर के जलने से न ही दुर्गन्ध होगी न ही ज्यादा धुंआ निकलेगा। राख का इस्तेमाल प्राणि उद्यान के पेड़ पौधों में कर लिया जाएगा। रुक जाएगा चमड़े का व्यापार हेरिटेज फाउंडेशन के डॉ संजय कुमार श्रीवास्तव एवं नरेंद्र मिश्र बताते हैं कि वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के शेड्यूल 1 के अंतर्गत आने वाली प्रजातियों का अवैध शिकार मुख्य तौर पर व्यापार (ट्रेडिंग) के लिए किया जाता है। एशिया समेत दुनिया के दूसरे महाद्वीपों में जानवर और उनके शरीर के अलग-अलग हिस्से ब्लैक मार्केट में बिकते हैं। महंगे दामों पर खरीद कर इनका इस्तेमाल गहने, औज़ार, दवा, जैकेट, पर्स और दूसरी कई चीज़ों को बनाने के लिए किया जाता है। दांत, नाखून समेत अन्य कई हिस्से बचे रह जाते हैं। फिर इनके अवैध व्यापार की संभावनाएं बढ़ जातीं हैं। प्राणि उद्यान के पशु चिकित्सक डॉ. योगेश प्रताप सिंह की मानें तो खुले में लकड़ियों से जानवर के जलाने पर उनके कई अंगों के न जलने की संभावना बनी रहती है। इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर प्राणि उद्यान में संरक्षित प्रजातियों के वन्य-जीव मौत पर उनके निस्तारण के लिए इंसीनरेटर लगाया गया है। हिन्दुस्थान समाचार/आमोद/दीपक-hindusthansamachar.in

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