गोरखपुर : सुमेर सागर ताल कालोनी पर चलेगा बुलडोजर
गोरखपुर : सुमेर सागर ताल कालोनी पर चलेगा बुलडोजर

गोरखपुर : सुमेर सागर ताल कालोनी पर चलेगा बुलडोजर

गोरखपुर, 02 जुलाई (हि.स.)। सुमेर सागर ताल की जमीन पर अवैध निर्माण करा चुके लोगों के घरों पर अब बुलडोजर चलाने की तैयारी है। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट गौरव सिंह सोगरवाल ने साफ कह दिया है कि 07 दिन के अंदर घर खाली कर दें। ताल की जमीन पर हुए निर्माण अवैध हैं और उन्हें ध्वस्त किया जाएगा। इस दौरान दिया अल्टीमेटम ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के मुताबिक सुमेर-सागर ताल की जमीन पर निर्माण करा चुके कुछ लोग उनसे मिलने आए थे। सभी को सात दिन का समय दिया गया है। तहसील में जांच शुरू करा दी गई है। ताल की जमीन के खारिज-दाखिल होने में हुए खेल को उजागर करने का काम भी हो रहा है। विभागीय भूमिका और क्रेता-विक्रेताओं के खिलाफ भी होगी कार्रवाई ज्वाइंट मजिस्ट्रेट की मानें तो सुमेर सागर ताल से कब्जा हटाए जाने के बाद गोरखपुर विकास प्राधिकरण, नगर-निगम और राजस्व विभाग की भूमिका की जांच भी होगी। वहां की जमीन के सभी क्रेताओं-विक्रेताओं के खिलाफ भू-माफिया एक्ट के तहत कार्रवाई होगी। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट ने कहा कि राजस्व अभिलेख में 15 एकड़ ताल सुमेर सागर और सात एकड़ नजूल भूमि के रूप में दर्ज है। ताल और नजूल की इस भूमि पर कुछ लोगों ने आवास बनवा लिया है। मानचित्रों की जांच करेगा जीडीए ताल सुमेर सागर में अवैध निर्माण के मामले में गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) को भी कटघरे में खड़ा किया जा रहा है। सवाल उठने के बाद प्राधिकरण सुमेर सागर व जटेपुर क्षेत्र में पास किए गए सभी मानचित्रों की जांच शुरू करने जा रहा है। इस संबंध में सदर तहसील से रिपोर्ट भी मंगाई गई है। किसी के भूखण्ड में यदि कमी मिली तो उसका मानचित्र निरस्त कर दिया जाएगा। मानचित्र पास करने में जो शामिल होंगे, उनकी जांच कर कार्रवाई की भी तैयारी है। सदर तहसील प्रशासन की ओर से लगातार ताल सुमेर सागर में अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। जीडीए से पास हैं मानचित्र ज्वाइंट मजिस्ट्रेट सदर गौरव सिंह सोगरवाल ने बारीकी से जांच कर ताल की जमीन पर हुए निर्माण को अवैध बताया था और उन्हें ध्वस्त करने की कार्रवाई भी चल रही है। वहां कुछ ऐसे मकान भी निर्मित मिले, जिनका मानचित्र जीडीए से पास है। यह बात प्रकाश में आने के बाद प्राधिकरण पर सवाल उठने लगे। जिस पर जीडीए उपाध्यक्ष ने सभी मानचित्रों की नए सिरे से जांच कराने को कहा था। गलत तरीके से पास मानचित्र होगा निरस्त सुमेर सागर ताल में जिस मकान का मानचित्र पास होने पर सवाल उठाए जा रहे हैं, उसकी जांच जीडीए ने की है। मानचित्र गलत तरीके से पास हुआ है। जीडीए के सचिव रामसिंह गौतम ने बताया कि यह मानचित्र गलत है, इसे निरस्त किया जा रहा है। जीडीए की ओर से गूगल मैप के आधार पर जुटाई गई जानकारी के अनुसार इस जमीन पर 2002 में मिट्टी गिराई गई और 2003 में निर्माण शुरू हो गया। मिल चुकी हैं कई फाइलें जीडीए में इस काम को प्राथमिकता के आधार पर किया जा रहा है। अब तक करीब सात फाइलें मिल चुकी हैं, और की भी तलाश है। अधिकतर में बैनामा का पेपर न होने से गाटा नम्बर पता नहीं चल पा रहा है। जिसके चलते तहसील से ताल के सभी गाटा नम्बर की जानकारी मांगी गई है। उसी के आधार पर मानचित्र निकाल कर जांच की जाएगी। अनुमान है कि जितनी फाइलें दाखिल की गई हैं, उन सभी ने मकान बनवा लिए होंगे। बोले जीडीए उपाध्यक्ष जीडीए उपाध्यक्ष अनुज कुमार का कहना है कि सुमेर सागर में मानचित्र पास होने की जांच की जा रही है। सुमेर सागर के साथ जटेपुर का विवरण भी तहसील से मंगाया गया है। फाइल की खोज जारी है। जिसकी भी जमीन में कमी होगी, उसका मानचित्र निरस्त होगा। हिन्दुस्थान समाचार/आमोद/संजय-hindusthansamachar.in

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