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गोरखपुर : जीआईएस तकनीक उपकेंद्र निर्माण से तीन लाख उपभोक्ताओं का घर होगा रोशन

गोरखपुर, 20 जून (हि.स.)। आधुनिक तकनीकी गैस इंसुलेटेड सिस्टम (जीआईएस) वाला पूर्वांचल का पहला बिजली घर बनाए जाने का काम कुछ दिनों पहले से शुरू है। उपकेंद्र में लगाए जाने वाले 80-80 एमवीए की क्षमता वाले दो पॉवर ट्रांसफार्मर से 33 केवी के करीब 25 विद्युत उपकेंद्रों को बिजली दी जा सकेगी। ढाई से तीन लाख बिजली उपभोक्ताओं को इसका सीधा लाभ मिलेगा। इसके लिए शासन ने 118 करोड़ रुपये स्वीकृत किये तो जीडीए ने अपनी जमीन की रजिस्ट्री बिजली विभाग के नाम कर निर्माण की राह को आसान कर दिया। अब निर्माण भी शुरू कर दिया गया है। बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 08 अक्तूबर 2020 को ही 118 करोड़ रुपये की इस परियोजना का का शिलान्यास कर दिया था। बिजली घरों तक सप्लाई रूट निर्धारित न होने से हुई देर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा इसका शिलान्यास करने के बाद बजट भी स्वीकृत हो गया था, बावजूद इसके निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया था। इसके पीछे कोई विशेष कारण नहीं रहा, लेकिन इसे विभाग की लापरवाही मानी जा सकती थी। इस बनने वाले उपकेंद्र से 33 केवी वाले बिजली घरों तक 220 केवी के तारों को ले जाने के रास्ते पर अंतिम मुहर नहीं लग पा रहा था। कुछ असमंजस की स्थिति बनी रही। लाइन का इस्टीमेट है तैयार सर्वेक्षण के बाद चार किलोमीटर तक की लाइन का इस्टीमेट तैयार है। दो किलोमीटर तक रिहायशी इलाके के पास मोनोपोल लगाकर ट्रांसमिशन से लाइन ले जाया जाएगा। इसके अलावा दो किलोमीटर अंडरग्राउंड केबल ले जाने का प्रस्ताव है। शहर के विस्तार को मिलेगी उड़ान फर्टिलाइजर, एम्स, चिड़ियाघर, होटल, मॉल, के अलावा आने वाले दिनों में सीएम योगी आदित्यनाथ मेट्रो के काम भी शुरू कराने की तैयारी में हैं। इसके निर्माण से इस विकास कार्यों को भी गति मिलेगी। ऐसी की योजनाओं को जरूरत हेरिटेज फाउंडेशन के ट्रस्टी अनिल कुमार त्रिपाठी कहते हैं कि गोरखपुर शहर में मुख्यमंत्री के इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार के साथ औद्योगिक विस्तार के साथ नए नए आवासीय क्षेत्र भी तेजी से विकसित हो रहे हैं। कुशीनगर और गोरखपुर में एयरपोर्ट और गोरखपुर पूर्वांचल लिंक एक्सप्रेस समेत फोरलेन सड़कों के जाल से भी लोगों का रुझान इधर बढ़ा है। ऐसे में जीडीए और नगर निगम का दायरा भी बढ़ाया जा रहा है। नई परियोजनाओं के आने से बिजली की मांग व विद्युत लोड भी बढ़ रहा है। इसलिए जरूरी है कि ऐसी परियोजनाएं लाई जाएं। ताकि भविष्य की चुनौतियों का सामना किया जा सके। बोले एक्सईएन अधिशासी अभियंता राम सुरेश ने बताया कि जीडीए ने 08 हजार 249 वर्गमीटर जमीन ट्रांसमिशन के नाम पर रजिस्ट्री कर दी है। इतना ही नहीं, यूपीपीटीसीएल की ओर से 64 लाख 58 हजार 20 रुपये स्टांप शुल्क व 93 लाख 69 हजार 20 रुपये का निबंधन शुल्क भी जमा हो गया है। हिन्दुस्थान समाचार/आमोद

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