क्या गूगल ने गलत दिखायी है 1857 की क्रांति के महानायक मंगल पांडेय की जन्मतिथि ?
क्या गूगल ने गलत दिखायी है 1857 की क्रांति के महानायक मंगल पांडेय की जन्मतिथि ?

क्या गूगल ने गलत दिखायी है 1857 की क्रांति के महानायक मंगल पांडेय की जन्मतिथि ?

बलिया, 20 जुलाई (हि. स.)। देश की आजादी की लड़ाई के अग्रदूत बागी धरती के वीर सपूत अमर शहीद मंगल पांडेय की जयंती तिथि को लेकर सवाल उठाने लगे हैं। 19 जुलाई को देश की बड़ी हस्तियों द्वारा मंगल पांडेय की जयंती पर उन्हें नमन किए जाने के बाद इस पर प्रश्नचिन्ह खड़े हुए। जिले के लोग इसे सही नहीं मान रहे। अंग्रेजी सेना में बैरकपुर छावनी में तैनात जिले के नगवा के निवासी मंगल पांडेय ने अंग्रेजी हुकूमत को उखाड़ फेंकने के लिए सबसे पहले बिगुल फूंका था। उनके शौर्य और वीरता से डरी अंग्रेजी हुकूमत ने तय तिथि से दस दिन पहले ही 8 अप्रैल 1857 को उन्हें फांसी दे दी थी। मंगल पांडेय की वीरता पर आज भी देश के हर नागरिक का माथा गर्व से ऊंचा हो जाता है। आजादी के इस महानायक की जयंती जिले के लोग 30 जनवरी को मनाते हैं। प्रदेश के बेसिक शिक्षा द्वारा संचालित स्कूलों में कक्षा छह की पाठ्यपुस्तक महान व्यक्तित्व में भी मंगल पांडेय की जन्मतिथि 30 जनवरी 1831 ही दर्शायी गई है। नगवा में लगी मंगल पांडेय की विशालकाय प्रतिमा के बायो में भी 30 जनवरी 1831 ही दिखाया गया है। इसी तिथि पर आजादी के महानायक की जयंती मनाने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है। जबकि गूगल पर मंगल पांडेय की जयंती 19 जुलाई 1827 प्रदर्शित हो रही है। रविवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी समेत कई मंत्री व अन्य विशिष्ट हस्तियों ने मंगल पांडेय को नमन किया तो धीरे-धीरे जिले व देश-प्रदेश के बहुत से लोगों ने फेसबुक, व्हाट्सएप व ट्विटर जैसे सोशल मीडिया मंचों पर शुभकामनाएं देनी शुरू कर दी। इसके बाद से ही मंगल पांडेय के गांव व अन्य सामाजिक संगठनों में सुगबुगाहट शुरू हुई। मंगल पांडेय के पैतृक गांव नगवा के मंगल पांडेय विचार मंच के अध्यक्ष कृष्णकांत पाठक ने कहा कि उनकी जयंती 30 जनवरी 1831 को है। भारत सरकार को गूगल से सुधार करवा लेना चाहिए। इससे भ्रम फैल रहा है। इतने बड़े स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के जीवन परिचय से किसी को भी खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। हिन्दुस्थान समाचार/पंकज/राजेश-hindusthansamachar.in

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