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गरीब लड़कियों के लिये बुन्देलखंड के सभी जिलों में बालिका शिक्षा लर्निंग केन्द्र शुरू

- कोरोना काल में स्कूलों से बाहर हुयी लड़कियों के लिये बैक टू स्कूल कैंपनेज का आगाज हमीरपुर, 24 फरवरी (हि.स.)। कोरोना काल में स्कूल बंदी का खामियाजा लड़कियों को भुगतना पड़ा है। दस महीने बाद जब स्कूल खुलने लगे है तो भारी संख्या में लड़कियों के स्कूलों से बाहर हो गयी है। ऐसे में राइट टू एजुकेशन फोरम के तत्वाधान में बुन्देलखंड के हमीरपुर समेत सातों जिलों में स्कूल जाने वाली उम्र की सभी लड़कियों को स्कूल लाने के लिये बुधवार से बैक टू स्कूल कैंपनेज की शुरुआत कर दी गयी है। इसे एक अभियान के तौर पर आगाज किया गया है जिसे विभिन्न सामाजिक संस्थायें 31 मार्च तक संचालित करेगी। हमीरपुर स्थित एक गेस्टहाउस में आयोजित प्रेस कान्फ्रेंस में आरटीई फोरम के राष्ट्रीय संयोजक अम्बरीष राय ने बताया कि एक साल से सभी लोग नाजुक दौर से गुजर रहे है। बच्चों की पढ़ाई पर भी बड़ा असर पड़ा है। बच्चों के सीखने और पढऩे में आई बाधा को देखते हुये जमीनी स्तर पर एक प्रयोग के तौर पर हमीरपुर जनपद के मौदहा और कुरारा क्षेत्र के तहत समर्थ फाउन्डेशन 10 बालिका शिक्षा लर्निंग केन्द्र संचालित कर रही है। बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये नीतिगत पहल की तत्काल जरूरत पर उन्होंने कहा कि कोरोना काल के दौरान पढ़ाई में हुयी क्षति की भरपाई को अतिरिक्त प्रयासों और संसाधनों की भी जरूरत होगी जिस पर राज्य सरकार को बिना कोई देरी ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि हर बच्चे को शिक्षा मुहैया कराने का लक्ष्य हासिल करने के लिये सार्वजनिक शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने और बुनियादी ढांचा भी दुरुस्त करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है। ऐसे में चिंताजनक है कि शिक्षा पर बजट में वृद्धि के बजाय केन्द्र और राज्य सरकार लगातार कटौती कर रही है। सरकार को शिक्षा के लिये विशेष कोविड पैकेज की घोषणा करनी चाहिये। फोरम के राष्ट्रीय संयोजक ने बताया कि जुलाई 2020 में आई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी सभी को बारहवीं तक शिक्षा उपलब्ध करने की बात की गयी है लेकिन कोरोना काल के आंकड़े बताते है कि स्कूल जाने वाली उम्र के लड़के और लड़कियां स्कूल छोड़ रहे है। ऐसे में उन्हें स्कूल लाने की जरूरत है। बैक टू स्कूल अभियान इस मकसद को काफी हद तक पूरा करेगा। समर्थ फाउन्डेशन के सचिव देवेन्द्र गांधी ने कहा कि बुन्देलखंड का पूरा इलाका गरीबी, गैर बराबरी और अशिक्षा से जूझता रहा है। ऐसे में हम शिक्षा की स्थिति में सुधार व पढ़ाई के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य और बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने को लर्निंग सेंटर का संचालन किया जा रहा है। जिसके परिणाम भी अच्छे देखने को मिल रहे है। कहा कि हर बच्चे को शिक्षा मुहैया कराने के लक्ष्य को हासिल करने की गारंटी करनी होगी। आरटीई फोरम के मीडिया समन्वयक मित्ररंजन ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण समावेशी शिक्षा के लोक व्यापीकरण के बगैर देश और समाज के विकास की कल्पना बेमानी है। आज दलित, आदिवासी, दिव्यांगों व लड़कियों समेत समाज के हाशिये पर मौजूद समुदायों पर शिक्षा से बाहर होने का खतरा सबसे ज्यादा मंडरा रहा है। बालिकाओं, शिक्षकों एवं समुदाय के साथ कन्या पूर्व माध्यमिक स्कूल कुतुबपुर की प्रधानाचार्या मालती झा, समाजसेवी सीमांत शुक्ला व सामाजिक कार्यकर्ता जलीस खान ने कहा कि अभी भी 40 प्रतिशत से अधिक बच्चियां शिक्षा के दायरे से बाहर है। इसलिये स्कूल जाने वाली उम्र की सभी लड़कियों के स्कूल में होने की गारंटी होनी चाहिये। हिन्दुस्थान समाचार/ पंकज

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