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राष्ट्रीय चेतना की अलख जगाने वाला शुरु हुआ गीता मेला

— 30 वर्ष पहले डा. माधवी लता शुक्ला ने मेले की रखी थी अवधारणा कानपुर, 01 मार्च (हि.स.)। विद्यार्थियों को सुसंस्कारित करने और राष्ट्रीय चेतना की अलख जगाने वाला कानपुर में 30 वर्ष पूर्व डा. माधवी लता शुक्ला ने गीता मेले की अवधारणा रखी थी। इसके बाद से यह क्रम बराबर चला आ रहा है और सोमवार को इस बार फिर से शुरु हो गया। कानपुर प्रेस क्लब में सोमवार को प्रेस वार्ता कर ऊषा रत्नाकर शुक्ला ने बताया कि स्व डॉ. माधवी लता शुपला ने 30 वर्ष पहले ऊर्जो के स्रोत गीता मेले की अक्धारणा की थी। वह आज भी उनके गोलोकवासी होने के पश्चात उन्ही का अनुकरण करते हुये अपने पूर्ण साज-सज्जा के साध आनन्द रस की वर्ष करता आ रहा है। वार्षिकोत्सव के रूप में मनाया जाने वाला यह आयोजन हमारे विद्यार्थियों की सुसंस्कारित करें। जन-जन में राष्ट्रीय चेतना को प्रवाहित करें, उन्हे सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा दे, यही इस महाआयोजन का उद्देश्य है। अखिल भारतीय श्री गीता मेला का उद्देश्य भारतीय संस्कृति का उन्नयन एवं देश का उन्नयन बराबर होता रहे। आगे कहा कि युगों—युगों से भारत में ऐसे-ऐसे उपदेशक, ऋषि मुनि पैदा हुए हैं, जिन्होंने आगे बढ़कर न सिर्फ भारत को अपितु विश्व को दर्शन, ज्ञान अध्यात्म से ओत-प्रोत किया। श्री मदभगवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण के मुख से निकली हुई ऐसी उपदेशक वाणी है, जिसका जितना अधिक अध्ययन, मनन, चिन्तन किया जाये उतना ही अधिक उपयोगी सिद्ध होगा। आज सम्पूर्ण विश्व में अराजकता, अशांति एवं असहिष्णुताः का वातावरण है। गांधी जी ने भी गीता के उपदेशों को लक्ष्य बनाकर अहिंसात्मक आन्दोलन कर भारत को आजाद कराया। स्वर्गीया डॉ.माधवीलता शुक्ला ने गीता को सदैव अपना सबसे उत्तम पथ प्रदर्शक माना था और श्री मद भगवत गीता का अवधी भाषा में काव्यानुवाद किया। गीता के प्रचार-प्रसार के लिए आज से 30 वर्ष पूर्व गीता मेला का शुभारम्भ किया। वास्तव में अखिल भारतीय श्री गीता मेला कानपुर में ही नहीं सम्पूर्ण विश्व में सिर्फ कानपुर में ही मनाया जाता है। रामायण मेला तो सदैव होते हैं, लेकिन कानपुर को स्वर्गीया डा. माधवीलता शुक्ला के सौजन्य से अखिल भारतीय श्री गीता मेला आयोजित करने का गौरव प्राप्त है। हिन्दुस्थान समाचार/अजय/मोहित

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