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फंगस अत्यधिक दवाओं के सेवन का प्रतिफल - सतीश राय

प्रयागराज, 27 मई (हि.स.)। वर्तमान में जो फंगस चल रहा है, वह कोरोना वायरस के दौरान जिन लोगों पर अत्यधिक दवाओं का सेवन कराकर रिसर्च किया गया, जिससे उनकी इम्यूनिटी बहुत कमजोर हो गई उसी का प्रतिफल है। यह बातें जाने-माने रेकी ग्रैंड मास्टर सतीश राय ने कही। एसकेआर योग एवं रेकी शोध प्रशिक्षण और प्राकृतिक संस्थान प्रयागराज रेकी सेंटर पर श्री राय ने हिन्दुस्थान समाचार से वार्ता के दौरान कहा कि अब म्यूकर माइकोसिस अर्थात् फंगस की बीमारी तेजी से फैल रही है। ब्लैक फंगस के बाद व्हाइट फंगस, येलो फंगस बीमारी के भी मरीज मिलने लगे हैं। उन्होंने कहा कि फंगस पैदा करने वाले बैक्टीरिया हवा में हर जगह मौजूद रहते हैं। यह आमतौर पर मानसून से पैदा होते हैं। खासकर नम मिट्टी में इनकी मौजूदगी ज्यादा होती है। उन्होंने कहा कि फंगस की बीमारी बहुत पुरानी है। फंगस अर्थात फफूंद एक प्रकार का जीव है, जो अपना भोजन सड़े-गले मृत कार्बनिक पदार्थों से प्राप्त करते हैं। नम स्थानों पर खाद्य पदार्थों को रखने पर उसमें कुछ समय बाद फंगस लग जाते हैं। कोई भी फंगस उन्हीं लोगों पर अटैक करता है जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है। इसमें डायबिटीज के मरीजों की संख्या ज्यादा होती है। जो स्टेरॉयड का इस्तेमाल ज्यादा करते हैं, उनकी इम्यूनिटी पावर कम हो जाती है। ज्यादा स्टेरॉयड की डोज यदि मरीज को दिया जाता है तो उनके ब्लड में मिठास की मात्रा बढ़ जाती है। इसीलिए लंबे समय तक यदि स्टेरॉयड दिया जाए तो वह फंगस के चपेट में आ सकते हैं। श्री राय ने वर्तमान में फंगस की परिभाषा बताते हुए कहा कि ब्लैक फंगस जिसे म्यूकर माइकोसिस कहते हैं, इसके कीटाणु नाक के रास्ते से जाकर आंख पर असर करते हैं, फिर ब्रेन में चले जाते हैं। जिसके कारण यह घातक हो जाता है। ह्वाइट फंगस में जो लोग आईसीयू में भर्ती हैं और काफी दिनों से एंटीबायोटिक दवा ले रहे हैं उन्हें यह नाक के रास्ते जाकर सीधे फेफड़ों पर असर डालता है। यलो फंगस बीमारी इंसानों में नहीं होती यह फंगस रेंगने वाले कीड़े में पाया जाता है। यह शरीर के घाव को सूखने नहीं देता इसके कीटाणु घाव के रास्ते ब्लड में चले जाते हैं, जिससे यह घातक हो जाता है। उन्होंने बताया कि प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए शरीर में एक पूरा नेटवर्क का जाल कार्य करता है। जिसमें शरीर के कई आर्गन साथ मिलकर एक साथ समूह में कार्य करते हैं। तब शरीर की प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है और इन आर्गन का मुख्य अंग मस्तिष्क है। हमारे मस्तिष्क में जैसा विचार आता है पूरा शरीर इस विचार को सही करने में लग जाता है। पूरे शरीर को मस्तिष्क ही कंट्रोल करता है। हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त

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