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योगी सरकार के चार साल, सहकारी बैंकों ने किसानों को दिया 21957 करोड़ का ऋण

-किसानों को सशक्त करने में जुटा उप्र का सहकारिता विभाग लखनऊ, 25 मार्च (हि.स.)। उत्तर प्रदेश सरकार का सहकारिता विभाग किसानों को सशक्त करने में जुटा है। योगी सरकार के चार साल में राज्य के सहकारी बैंकों व जिला सहकारी बैंकों द्वारा लाखों कृषकों को 21957.29 करोड़ रुपये का फसली ऋण प्रदान कर किसानों की कृषि सम्बन्धी लागतों का समाधान किया गया है। राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि वर्तमान प्रदेश सरकार के विगत चार वर्षों के दौरान ही चीनी उद्योग के विकास के लिए 2017-18 से अब तक 15226.10 करोड़ रूपए का ऋण सहकारी बैंकों द्वारा उपलब्ध कराकर गन्ना किसानों के भुगतान की समयबद्ध प्राप्ति सुनिश्चित करायी गयी है। इसमें चीनी मिलों की मांग पर 888.10 करोड़ का वित्तपोषण भी शामिल है। गौरतलब है कि ग्रामीण कृषकों को फसल उत्पादन हेतु उचित ब्याज दर व शर्तों पर ऋण उपलब्ध कराकर उन्हें महाजनों के चंगुल से मुक्त कराना सहकारिता आंदोलन का मुख्य उद्देश्य था। आज प्रदेश में सहकारी समितियों के कार्य का विस्तार उर्वरक, बीज वितरण, शीतगृह संचालन, दीर्घकालीन ऋण वितरण, दुग्ध, गन्ना, आवास आदि अनेक क्षेत्रों में हो गया है। प्रवक्ता के अनुसार योगी सरकार के प्रयासों से आज सहकारी समितियों के प्रबन्धन द्वारा जनसहभागिता के माध्यम से उनके आर्थिक विकास को बढ़ावा मिल रहा है। उन्होंने बताया कि किसानों की वित्तीय साख क्षमता को मजबूत करने हेतु अब तक 16.91 लाख काश्तकारों को किसान क्रेडिट कार्ड प्रदान किए गए है। जिला सहकारी बैंकों में मोबाइल एटीएम सेवा प्रारम्भ कर, विगत वर्ष में लगभग 544 करोड़ रूपए का लेनदेन हुआ है। फसल ऋण मोचन योजना द्वारा 484273 किसानों के लगभग 634 करोड़ रूपए के ऋण माफ किए गए है। प्रवक्ता ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश के 16 कमजोर जिला सहकारी बैंकों को 2063 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता से इन्हें मजबूत बनाया गया है। उप्र कोऑपरेटिव बैंक द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक से प्राप्त लाइसेंस के अन्तर्गत स्वयं अपने तथा 50 जिला सहकारी बैंकों में आरटीजीएस एवं एनईएफटी सेवाएं सफलतापूर्वक लागू की गयी है। इनमें इण्टरनेट बैंकिंग की सुविधा भी शीघ्र लागू की जा रही है। प्रदेश सरकार द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग कर सहकारी बैंकोें की कार्यप्रणाली को कार्यकुशल व पारदर्शी बनाया गया है। सभी पैक्स (प्राथमिक कृषि साख समिति) को माइक्रों एटीएम प्रदान कर जिला सहकारी बैंकों के कार्यकलापों की पहुंच ग्रामीण स्तर तक की गयी है। प्रवक्ता ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयासों से समस्याग्रस्त सहकारी ग्राम विकास बैंकों द्वारा ऋण वितरण प्रक्रिया को पुनः चालू कराया गया है। विगत चार वर्षों में ऋण वसूली का अभियान चलाकर इन बैंकों को इस स्थिति में पहुँचा दिया गया है कि वे अपने देय ऋण के किश्त की धनराशि अपनी वसूली से प्राप्त आय से ही अदा करने लगे है। विगत तीन वर्षों में इन बैंकों द्वारा लगभग 2670 करोड़ रूपए की वसूली कर लगभग 2200 करोड़ रूपए की देनदारियाँ समाप्त कर आत्मनिर्भर बने है। राज्य सरकार द्वारा जिला सहकारी बैंको का आधुनिकीकरण एवं कम्प्यूटराइजेशन कर इनकी कार्यप्रणाली बेहतर की गयी है। सभी सहकारी समितियों को जवाबदेह बनाने हेतु इनका आॅडिट व एजीएम कराया गया है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के अन्तर्गत 3.85 लाख कृषकों को 196.49 करोड़ रुपये की धनराशि हस्तांतरित की गयी है। मूल्य समर्थन योजनान्तर्गत सहकारिता विभाग द्वारा विगत 04 वर्षों (2017-18 से 2020-21) 168.51 लाख मी.टन धान व गेहूँ की खरीद कर लगभग 11,27,826 काश्तकारों को लाभान्वित किया गया है। वर्तमान वित्तीय वर्ष 2020-21 में धान एवं गेहूँ की अब तक की सर्वाधिक खरीद की गयी है। योजना के अन्तर्गत काश्तकारों का भुगतान आनॅलाइन उनके खातों में भेजा गया है। जिससे उन्हें पूरा भुगतान मिलना सुनिश्चित हुआ है। पीसीएफ (उप्र पहुंच फेडरेशन) द्वारा 2017-18 से अब तक लगभग 144.96 लाख मी.टन फास्फेटिक एवं यूरिया वितरण कर उन्नत खेती हेतु कृषको को लाभान्वित किया गया है। प्रवक्ता ने आगे बताया कि वर्तमान प्रदेश सरकार द्वारा कृषकों की आय को दोगुना कर उनकी समृद्धि सुनिश्चित करने हेतु सहकारिता विभाग द्वारा किसानों को निरंतर प्रोत्साहन व समर्थन प्रदान किया जा रहा हैं जिससे प्रदेश के कृषकों की समस्याएं दूर हुई है एवं प्रदेश कृषि के क्षेत्र में निरन्तर प्रगतिपथ पर अग्रसर हुआ है। हिन्दुस्थान समाचार/पीएन द्विवेदी/दीपक

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