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कुशीनगर की पांच चीनी मिलों ने गन्ना किसानों का 133.20 करोड़ रोका, किसानों में रोष

कुशीनगर, 29 जून (हि.स.)। जिले की पांच चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का 133.20 करोड़ रुपया बकाया चल रहा है। कप्तानगंज चीनी मिल ने तो केवल 37.50 फीसदी ही गन्ना मूल्य का भुगतान किया है। इस स्थिति के चलते किसान संगठन लामबंद होना शुरू हो गए हैं। वेटरनस एसोशिएशन किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और भाकियू (अ) ने रोष व्यक्त किया है। जिले के हाटा में बिरला ग्रुप की न्यू इंडिया शुगर मिल, रामकोला पी, कप्तानगंज, सेवरही और खड्डा स्थित चीनी मिल गन्ना पेराई का कार्य कर रही हैं। जिले में पांच चीनी मिलें वर्षों से बंद है। पेराई सत्र 2020-21 में इन पांच चीनी मिलों ने 215.39 लाख कुंतल गन्ने की पेराई की, जिसका मूल्य 69,368.73 लाख रुपये हुआ। अब तक इन चीनी मिलों ने 21 जून तक 56,048.71 लाख रुपये गन्ना मूल्य का भुगतान किया है और 11,320.02 लाख रुपये बकाया है। चीनी मिलों ने अब तक 80.80 फीसदी गन्ना मूल्य का भुगतान किया है। सबसे ज्यादा बकाया कप्तानगंज चीनी मिल पर है। उसने अभी तक सिर्फ 5614.34 लाख रुपया गन्ना मूल्य का भुगतान किया है। कप्तानगंज चीनी मिल ने 27.75 लाख कुंतल गन्ने की पेराई की थी, जिसका मूल्य 8982.64 लाख रुपया है। चीनी मिल ने सिर्फ 37.50 फीसदी गन्ना मूल्य यानि 3368.30 लाख का भुगतान किया। गन्ना मूल्य भुगतान में रामकोला पी सबसे आगे है। उसने 93.22 फीसदी गन्ना मूल्य का भुगतान किया है। रामकोला चीनी मिल ने 63.62 लाख कुंतल गन्ने की पेराई की जिसका मूल्य 20,522.95 लाख रुपया हुआ। चीनी मिल ने इसमें 19,131.49 लाख रूपए का भुगतान कर दिया है और अब उसके ऊपर 1391.46 लाख रूपया बकाया है। हाटा चीनी मिल ने 88.40 फीसदी, सेवरही ने 75.89 और खड्डा ने 89.34 फीसदी गन्ना मूल्य का भुगतान किया है। वेटरनस एसोशिएशन किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और भाकियू (अ) के जिलाध्यक्ष रामचन्द्र सिंह ने कहा कि जनपद के गन्ना किसान गन्ना मूल्य का भुगतान न होने से परेशान हैं। योगी सरकार चीनी मिल मालिकों के प्रभाव के आगे नतमस्तक है। इस समय खरीफ की फसल की बुवाई का समय चल रहा है, लेकिन किसानों के हाथ में पैसे नहीं है। योगी सरकार ने कहा था कि प्रदेश के सभी चीनी मिलों द्वारा किसानों के गन्ने का भुगतान 14 दिन में होना चाहिये। यदि कोई मिल मालिक 14 दिन में गन्ने का भुगतान करने मे असफल होता है तो वह ब्याज के साथ गन्ने का भुगतान किसानों को देगा, लेकिन हालात यह है कि ब्याज की बात तो दूर अभी किसानों के गन्ने का मूल रकम का भुगतान नहीं हो पाया है जो दुर्भाग्यपूर्ण है। हिन्दुस्थान समाचार/गोपाल/विद्या कान्त

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