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केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय की प्रसार शिक्षा परिषद् की प्रथम बैठक सम्पन्न

झांसी, 23 जनवरी (हि.स.)। रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा परिषद् की प्रथम बैठक कुलपति डाॅ. अरविंद कुमार की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। डाॅ. एसएस सिंह, निदेशक प्रसार शिक्षा द्वारा गतवर्ष विश्वविद्यालय द्वारा बुंदेलखण्ड में किये जाने वाले कृषि प्रसार कार्यों का ब्यौरा प्रस्तुत किया गया। साथ ही अगले वर्ष की गतिविधियों की कार्य योजना प्रस्तुत की गई। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् नई दिल्ली के सहायक महानिदेशक डाॅ. वीपी चहल ने विश्वविद्यालय में कृषक सलाह, प्रशिक्षण और सूचना तकनीकी इकाई बनाने का सुझाव दिया। उन्होंने बैठक में किसानों का दक्षता उन्नयन, आनलाइन कोर्स, आभाषी प्रदर्शन करने के साथ बुंदेलखण्ड के नवाचारी किसानों की सूचना एकत्र करने की सलाह दी। बुंदेलखण्ड के कृषि एन.जी.ओ. की मीटिंग कर उनकी तकनीकी दक्षता बढ़ाने की सलाह दी। अटारी जबलपुर के निदेशक एस आर के सिंह ने बुंदेलखण्ड में जलप्रबंध, जानवरों के लिये दाना चारा की उपलब्धता बढ़ाने, किसानों के आय बढ़ाने के लिये मशरूम, शहद के उत्पादन के साथ कृषक संगठन के साथ जोड़ने का सुझाव दिया। उन्होंने किसानों द्वारा तकनीकी के प्रति ब्यवाहारिक बदलाव के शोध के साथ पोषण वाटिका और पोषण गांव बनाने का बल दिया। संयुक्त कृषि निदेशक, झाॅसी सुरेन्द्र सिंह ने ललितपुर और जालौन में सोयावीन, हल्दी और हरी मटर की खेती बढ़ाने का सुझाव दिया। छतरपुर के किसान डाॅ. सुमनदास ने गौ आधारित खेती को वाणिज्य और उद्यमिता से जोडने की सलाह दी। उन्होंने कृषि में सोलर पम्प, उद्यमिता और वानिकी को कृषि पर्यटन से जोडने की सलाह दी। डाॅ. दास ने बुदेलखण्ड में अन्ना प्रथा कम करने के लिये जगह जगह गौ आश्रयशाला बनाकर उनके गोबर और मूत्र के उत्पाद बनाकर व्यापारिक बनाने की सलाह दी। दतिया की डाॅ. सुनीता पुजारी ने फूलों तथा जैविक खेती पर बल दिया। झाॅंसी के कुंजविहारी शर्मा जी ने प्राचीन विधि से नदियों के पुर्नजीवित करने पर समाज के भागीदारी पर जोर दिया इनके साथ उन्होंने सांझी खेती एवं सांझे उद्योग द्वारा किसानों की आय बढ़ाने पर बल दिया। डाॅ. ए के पाण्डे अधिष्ठाता उद्यानिकी ने सब्जी और फलों को बुंदेलखण्ड में बढ़ाने के लिये विश्वविद्यालय द्वारा तैयार हो रहे बीजों तथा पौध का विवरण दिया। डाॅ. एस के चतुर्वेदी अधिष्ठाता कृषि ने प्रकृतिक संसाधन प्रबंध और समेकित खेती द्वारा आदर्श गांव विकसित करने की सलाह दी। डाॅ. अनिल कुमार निदेशक शिक्षा ने किसान-उपभोक्ता फोरम बनाकर आय बढ़ाने की सलाह दी साथ ही मोटे अनाज की खेती के साथ पोषण आयुर्वेद उत्पाद पर बढावा देने की सलाह दी। कुलपति डाॅ. अरविंद कुमार ने सभी सुझावों को विश्वविद्यालय के कार्ययोजना में लाने का आश्वासन दिया। डाॅ. आशुतोष शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन किया। डाॅ. संजीब कुमार और डाॅ. तनुज मिश्रा ने विशेष योगदान दिया। हिन्दुस्थान समाचार/महेश-hindusthansamachar.in

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