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कानपुर में फाइलेरिया उन्मूलन अभियान 26 अप्रैल से होगा शुरू - डॉ. जीके मिश्रा

— हाथी-पांव के नाम से भी जाना जाता है इस संक्रामक रोग को कानपुर, 20 मार्च (हि.स.)। फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है, जिसे सामान्यतः हाथी-पांव के नाम से भी जाना जाता है। फाइलेरिया उन्मूलन के लिए ट्रिपल ड्रग थेरेपी आईडीए (आईवरमेक्टिन, डाईइथाइलकार्बामोजन साइट्रेट और एलबेंडाजोल) के तहत 26 अप्रैल से फाइलेरिया उन्मूलन अभियान जनपद में शुरू होने जा रहा है। अभियान की सफलता को लेकर मुख्य चिकित्सा अधिकारी सभागार में शनिवार को दो दिवसीय प्रशिक्षण संपन्न हुआ। इस प्रशिक्षण में शहरी, ग्रामीण क्षेत्र के प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों, स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारीयों सहित बीपीएम व बीसीपीएम को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण को सम्बोधित करते हुए अपर निदेशक, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, कानपुर मंडल, डॉ. जीके मिश्रा, ने कहा कि राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत फाइलेरिया उन्मूलन हेतु जनपद में आई0डी0ए कार्यक्रम 26 अप्रैल से 11 मई तक चलेगा। स्वास्थ्य विभाग की टीमें शहरी और ग्रामीण इलाकों के लोगों को आईवेरमेक्टिन, डीईसी और एल्बेण्डाजोल की गोली घर-घर जाकर अपने सामने सेवन करायेंगी। इस अभियान में लगभग 50 लाख की आबादी को कवर किया जाएगा। जिला मलेरिया अधिकारी डॉ एके सिंह ने बताया की फाइलेरिया दुनिया भर में दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है। आमतौर पर फ़ाइलेरिया से जुड़ी विकलांगता जैसे लिंफोडिमा (पैरों में सूजन) और हाइड्रोसील (अंडकोश की थैली में सूजन) के कारण पीड़ित लोगों को अक्सर सामाजिक बोझ सहना पड़ता है, जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है। संचारी रोग नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल एसीएमओ डॉ. एपी मिश्रा ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग जनजागरूकता के साथ ही आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, बीएचडब्ल्यू, एएनएम, आशा एवं स्वयंसेवी कार्यकर्ताओं के माध्यम से अपने सामने दवा खिलाने का कार्य घर-घर जाकर किया जायेगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के स्टेट प्रोग्राम ऑफिसर डॉ. तनुज शर्मा एवं डॉ. नित्यानंद ठाकुर, पाथ संस्था के नोडल अधिकारी (एनटीडी) डॉ. मानस शर्मा द्वारा ट्रिपल ड्रग थेरेपी मॉड्यूल और पीसीआई संस्था के जिला समन्वयक सुनील कुमार गुप्ता द्वारा आईपीसी के महत्त्व को बताया गया। प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षकों ने बताया कि समुदाय के लोगों में इस बीमारी और इस रोग के इलाज में प्रयोग में आने वाली आईडीए दवाइयों के लाभ के बारे में अधिक जानकारी न होने से ज़्यादातर लोग दवाई का सेवन नहीं करतें हैं। समुदाय के सभी सदस्यों को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है, कि वह स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की निगरानी में यह दवाएं लें और दूसरे लोगों को भी ऐसा ही करने के लिए प्रेरित करें। हम में से हर एक व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम को सफल बनाएं। फाइलेरिया के लक्षण — बुखार, बदन में खुजली तथा पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द और सूजन की समस्या दिखाई देती है। — पैरों व हाथों में सूजन, हाथी-पांव और हाइड्रोसिल (अंडकोषों का सूजन) के रूप में भी यह समस्या सामने आती है। हिन्दुस्थान समाचार/महमूद/मोहित

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